नई दिल्ली, 21 फरवरी 2025
सुप्रीम कोर्ट ने एक जोड़े की शादी को खत्म करते हुए टिप्पणी की कि अगर शादी टूट गई है, तो यह पुरुष और महिला के जीवन का अंत नहीं है और जोड़े को आगे देखना चाहिए। न्यायमूर्ति अभय ओका की अगुवाई वाली पीठ ने मई 2020 में हुई शादी को भंग कर दिया और जोड़े द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर सभी 17 कार्यवाही को समाप्त कर दिया और उन्हें आगे बढ़ने की सलाह दी। अदालत ने टिप्पणी की, “दोनों पक्ष युवा हैं। उन्हें अपने भविष्य की ओर देखना चाहिए। अगर शादी विफल हो गई है, तो यह दोनों के लिए जीवन का अंत नहीं है। उन्हें आगे देखना चाहिए और एक नया जीवन शुरू करना चाहिए।”
अदालत ने कहा कि दम्पति से अनुरोध है कि वे अब शांतिपूर्वक रहें और जीवन में आगे बढ़ें। अदालत ने इसे उन दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में से एक बताया, जहां शादी के एक साल के भीतर ही पत्नी को अपने पति और ससुराल वालों पर लगातार उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अपना ससुराल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अदालत ने दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को सलाह दी कि इन मुकदमों को लड़ना व्यर्थ होगा, क्योंकि ये कई वर्षों तक खिंच सकते हैं। इसके बाद, वकीलों ने अदालत से अनुरोध किया कि वह विवाह को विघटित करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करे। वर्ष 2020 में शादी के बाद से ही महिला अपने माता-पिता के घर पर रह रही है, क्योंकि उनके बीच संबंध खराब हो गए थे।