Jammu & Kashmir

यासीन मलिक पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाहों से जिरह करने की अनुमति मिली

नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को जेल में बंद जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दो मामलों में गवाहों से जिरह करने की अनुमति दे दी। यह आदेश केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर याचिका पर आया, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के 1989 के अपहरण मामले और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामले की सुनवाई जम्मू से नई दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

यह याचिका दो मामलों को लेकर दायर की गई है, जिनमें 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में चार भारतीय वायु सेना (आईएएफ) कर्मियों की हत्या कर दी गई थी और 8 दिसंबर 1989 को अपहरण हुआ था।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार आईटी और जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा क्रमश: तिहाड़ जेल और जम्मू में उपलब्ध वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं के संबंध में प्रस्तुत रिपोर्ट का अवलोकन किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जम्मू सत्र अदालत वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली से “अच्छी तरह सुसज्जित” थी जिससे वर्चुअल परीक्षा संभव हो सकी।

इसमें मलिक का यह कथन भी दर्ज किया गया कि वह गवाहों से जिरह के लिए वकील नहीं रखना चाहते।

रुबैया, जिन्हें उनके अपहरण के पांच दिन बाद रिहा कर दिया गया था, जब तत्कालीन भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार ने बदले में पांच आतंकवादियों को रिहा किया था, अब तमिलनाडु में रहती हैं। वह सीबीआई के लिए अभियोजन पक्ष की गवाह हैं, जिसने 1990 के दशक की शुरुआत में इस मामले को अपने हाथ में लिया था।

मई 2023 में एक विशेष एनआईए अदालत द्वारा आतंकी वित्तपोषण मामले में सजा सुनाए जाने के बाद से मलिक तिहाड़ जेल में बंद हैं।

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