नई दिल्ली, 27 मई 2025:
भारतीय सेना ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान में किए गए सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पहली बार ‘रेड टीमिंग’ रणनीति का प्रयोग किया। यह रणनीति दुश्मन की सोच को अपनाकर अपनी ही योजना की समीक्षा करने पर आधारित है, जिससे संभावित खतरों का पूर्वानुमान लगाया जा सके और अभियान को अधिक सटीक बनाया जा सके।
रेड टीमिंग का तात्पर्य एक ऐसी विशेष टीम से है जो दुश्मन की मानसिकता से सोचती है और हमारी योजना की कमजोरियों को उजागर करती है। सेना के सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से चुने गए पांच वरिष्ठ अधिकारियों की एक रेड टीम बनाई गई थी। यह टीम दुश्मन की ओर से संभावित प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए ऑपरेशन की रणनीति को जांचने और परखने का कार्य करती है।
भारतीय सेना ने इस तकनीक को ‘विदुर वक्ता’ नाम दिया है, जो महाभारत के विद्वान सलाहकार विदुर से प्रेरित है। इस तकनीक का उद्देश्य किसी भी योजना में छिपी कमियों की पहचान कर उसे अधिक प्रभावी बनाना है। सेना का मानना है कि यह भविष्य के अभियानों में भी बड़ी भूमिका निभाएगा।
रेड टीमिंग, सेना की पहले से मौजूद REDFOR यूनिट से अलग है। जहां REDFOR दुश्मन की रणनीति का अभ्यास में अनुकरण करती है, वहीं रेड टीम अपनी ही योजना को दुश्मन की नजर से देखती है। शिमला स्थित प्रशिक्षण कमान (ARTRAC) में पहले से मौजूद REDFOR इकाई कागजी या रेत मॉडल आधारित अभ्यास करती रही है, जबकि रेड टीमिंग अधिक विश्लेषणात्मक और रणनीतिक होती है।
इस नई रणनीति के लिए पिछले साल अक्टूबर में आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के बाद नींव रखी गई थी। अब तक 15 अधिकारियों को इसका विशेष प्रशिक्षण दिया जा चुका है और अगले दो वर्षों में इसे और विस्तार देने की योजना है। सेना के अनुसार, यह तकनीक भविष्य में भारत की सैन्य योजनाओं को और भी अधिक शक्तिशाली और कुशल बनाएगी।