
नई दिल्ली, 7 जुलाई 2025:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक रविवार को नई दिल्ली स्थित केशव कुंज में सम्पन्न हुई। सोमवार को आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बैठक के प्रमुख बिंदुओं की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इस बैठक में संघ प्रमुख (सरसंघचालक) और सरकार्यवाह के मार्गदर्शन में शताब्दी वर्ष की योजनाओं पर विशेष चर्चा की गई। शताब्दी वर्ष के दौरान ग्रामीण स्तर पर मंडलों और शहरी क्षेत्रों की बस्तियों में हिन्दू सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। इन सम्मेलनों में सामाजिक एकता, सद्भाव, उत्सवों, और “पंच परिवर्तन” जैसे विषयों को केंद्र में रखकर संवाद होगा। देशभर में 11360 खंडों/नगरों में सामाजिक सद्भाव बैठकों और 924 जिलों में प्रमुख नागरिक गोष्ठियों का आयोजन भी प्रस्तावित है।
आंबेकर ने बताया कि संघ रचना के अनुसार देश में वर्तमान में 58,964 मंडल और 4,455 बस्तियां हैं। गोष्ठियों में “भारत के विचार”, “भारत का गौरव” और “भारत का स्व” जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही, एक वृहद गृह संपर्क अभियान चलाकर हर गांव और बस्ती के अधिकतम घरों तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि शताब्दी वर्ष के सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज के हर वर्ग तक पहुंच बनाना है, जिससे एक समरस, सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी वातावरण तैयार हो सके। विजयादशमी उत्सव से इस शताब्दी वर्ष की शुरुआत होगी, जिसमें देशभर के स्वयंसेवक भाग लेंगे।
प्रेस वार्ता में सुनील आंबेकर ने यह भी कहा कि केवल आर्थिक और तकनीकी प्रगति ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, पारिवारिक जीवन मूल्यों की रक्षा और समग्र विकास की दिशा में प्रयास करना आवश्यक है। शताब्दी वर्ष के माध्यम से यह संदेश समाज तक पहुंचाया जाएगा।
बैठक में मणिपुर की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि वहां संघ के स्वयंसेवक दोनों पक्षों से संवाद कर रहे हैं और सामाजिक सद्भाव स्थापित करने के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं।
प्रशिक्षण कार्यों की जानकारी देते हुए आंबेकर ने बताया कि अप्रैल से जून 2025 के दौरान देशभर में कुल 100 प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किए गए, जिनमें 40 वर्ष से कम आयु के 17,609 तथा 40 से 60 वर्ष आयु वर्ग के 4,270 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इन वर्गों में देश के 8,812 स्थानों से सहभागिता हुई।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि लालच, जबरदस्ती, मजबूरी का लाभ उठाकर या षड्यंत्रपूर्वक कन्वर्जन (धर्मांतरण) करना गलत है। वहीं, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघ सभी भारतीय भाषाओं को राष्ट्रभाषाएं मानता है और प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए।इस अवसर पर दिल्ली प्रांत संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर और प्रदीप जोशी भी उपस्थित रहे।






