
नई दिल्ली, 18 जून 2025:
भारत अब रेयर अर्थ मटेरियल्स (Rare Earth Materials) के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम बढ़ा चुका है। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश अब माइनिंग से लेकर रिसर्च, प्रोसेसिंग और अंतिम उत्पादों तक की पूरी वैल्यू चेन खुद विकसित करेगा। इस दिशा में मंगलवार को एक उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयीय बैठक हुई, जिसमें भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी और कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
बैठक में National Critical Mineral Mission (NCMM) को तेजी से लागू करने पर ज़ोर दिया गया। इसका मकसद है भारत को इलेक्ट्रिक वाहन, रक्षा निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए जरूरी Rare Earth Elements (REEs) में आत्मनिर्भर बनाना। मंत्री किशन रेड्डी ने कहा कि भारत अब माइनिंग, रिफाइनिंग, मैग्नेट निर्माण और उपयोग तक की पूरी सप्लाई चेन देश में ही खड़ी करेगा।
यह कदम चीन पर निर्भरता कम करने और वैश्विक स्तर पर एक वैकल्पिक शक्ति बनने की दिशा में भारत का बड़ा प्रयास माना जा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, चीन जानबूझकर भारत के साथ रेयर अर्थ से जुड़ी बैठकें टाल रहा है। करीब 50 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल को वीजा मिलने के बावजूद बैठक की तारीख तय नहीं की गई है। यह चीन की रणनीति को दर्शाता है जो भारत की तकनीकी प्रगति को धीमा करना चाहता है।
रेयर अर्थ तत्वों का उपयोग EV मोटर्स, बैटरियों, पावर स्टीयरिंग सिस्टम, रक्षा तकनीक, सैटेलाइट्स, विंड टर्बाइंस और सोलर पैनल में होता है। खासतौर पर Neodymium-Iron-Boron मैग्नेट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है।
यह आत्मनिर्भरता अभियान न केवल चीन की दबाव नीति का जवाब है, बल्कि भारत की तकनीकी क्रांति में निर्णायक भूमिका निभाने की तैयारी भी है। आने वाले समय में भारत केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि रेयर अर्थ मटेरियल्स का निर्माता और निर्यातक बन सकता है।