National

भारत में घटती प्रजनन दर से बढ़ी चिंता, युवा आबादी बनी टेंशन की वजह

नई दिल्ली, 11 जून 2025:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘2047 तक विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर देश तेजी से कदम बढ़ा रहा है, लेकिन एक नई जनसांख्यिकी रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) 2.0 से घटकर 1.9 हो गई है, जो देश के प्रतिस्थापन स्तर 2.1 से नीचे है।

यह गिरावट चीन और जापान जैसे देशों की स्थिति की याद दिलाती है, जहां प्रजनन दर क्रमशः 1.18 और 1.15 पर पहुंच गई है। चीन में सख्त एक बच्चा नीति ने जनसंख्या घटाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन अब वहां जनसंख्या संतुलन बनाए रखना एक चुनौती बन गया है। जापान भी ऐसी ही समस्याओं से जूझ रहा है।

संयुक्त राष्ट्र की “स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन 2025” रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या अप्रैल 2025 तक 146.39 करोड़ तक पहुंच सकती है, लेकिन उसके बाद गिरावट शुरू हो सकती है।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि युवाओं की संख्या में संभावित कमी के चलते भारत को आर्थिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

देश की वर्तमान जनसंख्या में 0-14 आयु वर्ग के लोग 24% हैं, जबकि 10-24 आयु वर्ग के लोग 26% हैं। कामकाजी उम्र (15-64 वर्ष) के लोगों की हिस्सेदारी 68% है, जिससे भारत को ‘डेमोग्राफिक डिविडेंड’ का लाभ मिल रहा है।

हालांकि, अगर प्रजनन दर यूं ही गिरती रही तो आने वाले दशकों में बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी और कामकाजी युवाओं की संख्या घटेगी। वर्तमान में 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोग 7% हैं, जो भविष्य में तेजी से बढ़ सकते हैं।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जनसंख्या संकट असल में ‘प्रजनन लक्ष्य न पाने’ की स्थिति है, न कि सिर्फ अधिक या कम आबादी की।

भारत के लिए यह समय है जब वह जनसंख्या संतुलन को लेकर रणनीतिक रूप से सोच-विचार करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button