मुंबई,24 फरवरी 2025:
भारतीय शेयर बाजारों में सोमवार, 24 फरवरी को एक बार फिर बड़ी गिरावट देखी गई। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 700 अंकों से अधिक गिर गया, जबकि निफ्टी भी 200 अंकों की गिरावट के साथ 22,600 के अहम स्तर से नीचे फिसल गया। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण बाजार में भारी दबाव देखने को मिला।
बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी 2% तक की गिरावट दर्ज की गई, जबकि सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। आईटी इंडेक्स पर सबसे अधिक असर पड़ा, जो 2% से अधिक टूट गया। सुबह 9:55 बजे के करीब, सेंसेक्स 703 अंकों की गिरावट के साथ 74,620.30 के स्तर पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 22,591 तक फिसल गया था।
शेयर बाजार में गिरावट के 4 बड़े कारण
- अमेरिकी बाजारों में कमजोरी: अमेरिकी शेयर बाजारों में कंज्यूमर डिमांड में सुस्ती और टैरिफ नीतियों को लेकर अनिश्चितता के कारण गिरावट आई, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा। अमेरिका में कंज्यूमर सेंटीमेंट 15 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली: फरवरी में अब तक विदेशी निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजार से 36,976.70 करोड़ रुपये निकाले हैं। 21 फरवरी को ही उन्होंने 3,449 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
- महंगाई और स्टैगफ्लेशन की चिंता: अमेरिका में महंगाई बढ़ने और स्टैगफ्लेशन (जहां ग्रोथ धीमी होती है, लेकिन महंगाई बनी रहती है) की आशंका से बाजार में दबाव बना हुआ है, जिसका असर आईटी सेक्टर पर खासतौर से पड़ा है।
- ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ का ट्रेंड: जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट वी. के. विजयकुमार के अनुसार, चीनी शेयरों में उछाल के कारण निवेशकों का रुझान भारत से हटकर चीन की ओर हो सकता है, जिससे भारतीय बाजार में बिकवाली बढ़ सकती है।
विजयकुमार ने यह भी कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना फिलहाल कम है। हालांकि, अगर अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट आती है, तो विदेशी निवेशकों की बिकवाली रुक सकती है और वे दोबारा भारतीय बाजार में निवेश कर सकते हैं। लेकिन फिलहाल, बाजार का शॉर्ट-टर्म आउटलुक अनिश्चित बना हुआ है।