काशी, 11 दिसंबर 2025 :
उत्तर प्रदेश की पौराणिक नगरी काशी में आज का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली जलयान सेवा की शुरुआत की गई। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नमो घाट से इस पर्यावरण अनुकूल जलयान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। जलयान पर सवार होकर मंत्री सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचे। हालांकि अभी इसके किराये और बुकिंग की सुविधा शुरू नहीं की गई है, लेकिन जल्द ही आम लोग भी इस आधुनिक जलयान में यात्रा कर सकेंगे।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत स्वच्छ और टिकाऊ परिवहन की ओर तेज गति से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि यह स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल आधारित जलयान न केवल तकनीकी उन्नति का उदाहरण है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूत करने वाला महत्वपूर्ण कदम भी है। सोनोवाल के अनुसार यह पहल गंगा के संरक्षण और हरित तकनीक को बढ़ावा देने के व्यापक लक्ष्य को भी आगे बढ़ाती है।

केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा कि स्वच्छ ईंधन वाले जलयान जलमार्गों को भविष्य के अनुकूल बना रहे हैं और पर्यावरण सुरक्षा के साथ विकास की दिशा दिखा रहे हैं। हाइड्रोजन तकनीक को अपनाकर भारत समुद्री और अंतर्देशीय जल परिवहन में नए युग की शुरुआत कर रहा है, जो देश के लिए हरित और टिकाऊ भविष्य का मार्ग बनाएगा।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के अधिकारियों के अनुसार गंगा में पहली बार इस तरह की हाइड्रोजन जलयान सेवा शुरू की गई है। यह जलयान एक बार में 50 लोगों को यात्रा की सुविधा देगा। इसमें पांच हाइड्रोजन सिलिंडर लगाए गए हैं, जो इसे मुख्य ऊर्जा प्रदान करेंगे। इसके अलावा, जलयान में 3 किलोवाट के सोलर पैनल भी लगाए गए हैं, ताकि इसे ऊर्जा का अतिरिक्त स्रोत मिल सके। जलयान की अधिकतम रफ्तार 12.038 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी। हाइड्रोजन फ्यूल के सुचारू संचालन के लिए कुल चार रीफिलिंग स्टेशन तैयार किए जा रहे हैं, जो जल्द ही पूरी तरह सक्रिय होंगे। इन व्यवस्थाओं के बाद काशी में जल परिवहन और अधिक साफ, सुरक्षित और उन्नत तकनीक वाला बन जाएगा।






