
संतोष देव गिरि
मिर्जापुर, 28 मई 2025:
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक अनोखा प्रदर्शन देखने को मिला, जहां पुरुषों ने महिला संरक्षण कानूनों के दुरुपयोग और पुरुषों पर हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ बुलंद की। कलेक्ट्रेट परिसर में हुए इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने पुरुष आयोग के गठन की मांग करते हुए कहा कि कानून सभी के लिए समान होना चाहिए, और न्याय प्रणाली को लिंगभेद के बजाय निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि दहेज और घरेलू हिंसा जैसे मामलों में 99% तक झूठे आरोप लगाए जाते हैं, जिससे निर्दोष पुरुष और उनके परिवार मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से टूट जाते हैं। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के 21 मई 2025 के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि झूठे आरोप लगाने वाली महिलाओं पर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
सामाजिक संस्था “संकल्प” के माध्यम से सरकार को 10 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें झूठे आरोपों में फंसे पुरुषों के लिए मुआवजा योजना, NRI मैट्रीमोनियल कोर्ट की स्थापना, और घरेलू हिंसा कानून को लिंग-निरपेक्ष बनाने जैसी मांगें शामिल थीं। वक्ताओं ने बताया कि कई निचली अदालतें सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करतीं, जिससे पुरुषों को न्याय नहीं मिल पाता।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह सामाजिक असंतुलन और आत्महत्याओं को और बढ़ा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह आंदोलन पुरुष अधिकारों की रक्षा के लिए विधिपूर्वक चलता रहेगा।