Uttar Pradesh

वाइल्डलाइफ प्रेमियों के लिए प्रेरणा: यातना से बचाए गए हाथी ‘राजेश’ ने पूरे किये आजादी के 14 साल!

मयंक चावला
मथुरा / आगरा, 17 दिसम्बर 2024:

लंबी शाही सूंड और चमकते दांतों वाला नर टस्कर हाथी राजेश आज मथुरा में अपनी आज़ादी के 14 साल पूरे कर चुका है। 2010 में उत्तर प्रदेश के एक सर्कस से वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा बचाया गया राजेश कभी क्रूर प्रशिक्षण और पीड़ा भरे जीवन का शिकार था। लेकिन आज वह मथुरा के हाथी अभयारण्य में सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन का आनंद ले रहा है, जहाँ उसे प्यार और करुणा की छांव मिली है।

सर्कस का दर्द:
सर्कस में करतब दिखाने वाले हाथी राजेश का जीवन कष्टों से भरा था। उसे घंटों तक पीठ झुकाकर खड़े रहना, फुटबॉल खेलना और दर्शकों का मनोरंजन करना पड़ता था। मगर लोगों को उसके करतब के पीछे का दर्द नजर नहीं आता था। इन करतबों को पूरा करने के लिए लाठियों और बुल हुक से उसे पीटा जाता था। यह अमानवीय यातना उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति को लगातार बिगाड़ रही थी।

नई जिंदगी की शुरुआत:

2010 में वाइल्डलाइफ एसओएस ने राजेश को सर्कस से मुक्त कराकर मथुरा के हाथी अभयारण्य में लाया। यहां शुरुआत में राजेश का व्यवहार डरा हुआ और असहज था। वह किसी पर भरोसा नहीं करता था और इलाज के दौरान भी बेचैन रहता था। धीरे-धीरे पशु चिकित्सा टीम और देखभाल करने वालों के धैर्य और मेहनत ने राजेश का विश्वास जीता। उसके पैरों के घावों का इलाज किया गया और उसे पौष्टिक आहार देकर उसकी खोई ताकत लौटाई गई।

करुणा का जादू:

आज राजेश का स्वभाव पूरी तरह बदल चुका है। वह शांत और सौम्य हो गया है और अपने देखभाल करने वालों के साथ गहरा रिश्ता बना चुका है। राजेश की आंखों में अब दर्द की जगह सुकून झलकता है। वह कद्दू, लौकी, तरबूज और कच्चे केले जैसे ताजे फलों और सब्जियों का स्वाद लेता है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण कहते हैं, “राजेश के दर्द को समझना आसान नहीं है। इतने वर्षों तक क्रूरता झेलने के बाद उसे आजादी देना हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। आज उसके 14 साल पूरे होने का जश्न हमारे लिए गर्व का क्षण है।”
सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने कहा, “राजेश का दूसरा जीवन स्नेह और देखभाल से भरा हुआ है। हम सुनिश्चित करते हैं कि उसकी जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाए ताकि वह स्वस्थ और खुश रहे।”

सुखद बदलाव:

वाइल्डलाइफ एसओएस के कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स डायरेक्टर बैजूराज एम.वी. ने बताया कि राजेश नियमित रूप से नाखूनों और फुटपैड की देखभाल कराता है। पिछले 14 सालों की मेहनत का परिणाम यह है कि राजेश का स्वास्थ्य अब पूरी तरह से सुधर चुका है।

जीवन का जश्न:
राजेश की कहानी सिर्फ उसकी आजादी की नहीं, बल्कि करुणा, धैर्य और समर्पण की भी मिसाल है। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि पशु भी प्रेम और सम्मान के हकदार हैं। सर्कस की जंजीरों से आजाद होकर राजेश ने यह साबित कर दिया कि जब उन्हें सही माहौल और देखभाल मिले, तो उनका जीवन भी खुशियों से भरा हो सकता है।

आज राजेश के लिए यह सफर आज़ादी का पर्व है, एक नई जिंदगी का जश्न है।

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