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आठ साल से न्याय की आस में हूं, विश्वास टूट रहा है… कुलदीप सेंगर की बेटी इशिता का भावुक पोस्ट

पूर्व MLA की उम्रकैद की सजा को निलंबित करने और जमानत देने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बाद आई भावनात्मक प्रतिक्रिया

नई दिल्ली, 29 दिसंबर 2025:

यूपी के उन्नाव रेप केस में दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उसे जमानत देने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी। इसके बाद कुलदीप की बेटी इशिता सेंगर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा और भावनात्मक खुला पत्र साझा किया है। इस पत्र में उन्होंने बीते आठ वर्षों से चली आ रही न्यायिक प्रक्रिया, सामाजिक प्रताड़ना और संस्थागत चुप्पी पर गहरी निराशा जताई है। उनका कहना है कि लगातार संघर्ष के बाद अब उनका भरोसा टूटने लगा है लेकिन उम्मीद अभी भी बाकी है।

अपने पत्र की शुरुआत इशिता ने यह कहते हुए की कि वह यह अपील एक नागरिक के रूप में नहीं बल्कि एक ऐसी बेटी के रूप में लिख रही हैं जो थक चुकी, डरी हुई और धीरे-धीरे विश्वास खो रही है। उन्होंने लिखा कि उनके परिवार ने हमेशा कानून और संविधान पर भरोसा किया। इसलिए कभी सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं किए न ही मीडिया के सामने आकर विरोध जताया। उनका दावा है कि उनकी चुप्पी को अक्सर गलत तरीके से समझा गया।
इशिता के अनुसार सोशल मीडिया पर उन्हें लगातार धमकियां मिलती रही हैं। कई बार उन्हें रेप या मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा है।

उनका कहना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर होने वाले हमलों ने उन्हें और उनके परिवार को गहरे मानसिक तनाव में डाल दिया है। उन्होंने यह भी लिखा कि उनकी पहचान आज सिर्फ बीजेपी विधायक की बेटी के लेबल में सिमटकर रह गई है। मानो इससे उनकी इंसानियत और बोलने के अधिकार को नकार दिया गया हो। अपने पत्र में इशिता ने यह सवाल उठाया कि अगर कानून की प्रक्रिया भी लोकप्रिय भावना, जनदबाव और सोशल मीडिया ट्रायल से प्रभावित होने लगे तो एक आम नागरिक के पास न्याय पाने का रास्ता क्या बचेगा।

उन्होंने आरोप लगाया कि न्याय तंत्र में विश्वास रखकर चुप रहने की कीमत उनके परिवार को मानसिक अशांति और आर्थिक स्थिरता के रूप में चुकानी पड़ी है। पत्र के अंत में इशिता लिखती हैं कि वह किसी सहानुभूति या पक्षपात की मांग नहीं कर रहीं, बल्कि सिर्फ इतना चाहती हैं कि कानून बिना डर और दबाव के अपनी बात कह सके। उन्होंने संस्थाओं और देश के प्रति अपना विश्वास दोहराते हुए कहा कि वह अब भी उम्मीद रखती हैं कि एक दिन उनकी बात सुनी जाएगी और न्याय मिलेगा।

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