Business

जम्मू-कश्मीर की बैंकों में पड़ा 465 करोड़ बेनामी रूपया! आखिर इतना पैसा किसका है?

जम्मू-कश्मीर में 17.20 लाख बेनामी बैंक खातों में 465 करोड़ रुपये वर्षों से बिना दावेदार पड़े हैं। RBI ने बैंकों से कहा है कि असली हकदारों को तलाशकर रकम जल्द लौटाई जाए और इसके लिए कैंप व प्रोत्साहन योजना भी शुरू की गई है।

बिजनेस डेस्क, 15 नवंबर 2025 :

भारत का स्वर्ग कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर जहां बेहतरीन वादियां हैं लेकिन इसके साथ ही बुरी खबरें भी आती रहती हैं। अब यहां बेनामी बैंक खातों का मामला बड़ा रूप ले चुका है। रिजर्व बैंक की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक यहां 17.20 लाख से ज्यादा ऐसे खाते मिले हैं, जिनमें कुल 465.79 करोड़ रुपये वर्षों से बिना किसी दावेदार के पड़े हुए हैं।

जम्‍मू जिले में ही 2.94 लाख खाते

RBI के रीजनल डायरेक्टर चंद्र शेखर आज़ाद ने बताया कि केवल जम्मू जिले में ही 2,94,676 खाते बेनामी श्रेणी में हैं और इनमें 107.27 करोड़ रुपये जमा हैं। यह रकम लंबे समय से किसी ने क्लेम ही नहीं की।

RBI की अपील – असली हकदारों को ढूंढकर पैसा लौटाएं

RBI ने बैंकों से साफ कहा है कि वे इन खातों के मालिक या उनके वारिसों को actively search करें और रकम वापसी की प्रक्रिया को fast-track करें। इसके लिए केंद्र सरकार ने एक incentive योजना भी लागू की है।

बैंकों को मिलेगा Incentive

अगर बैंक किसी बेनामी खाते को वापस सक्रिय कर देते हैं या उसके rightful owner को पैसा सौंप देते हैं, तो बैंक को बैलेंस का 7.5% या अधिकतम 25,000 रुपये तक प्रोत्साहन दिया जाएगा। यह स्कीम 1 अक्टूबर 2024 से 30 सितंबर 2026 तक लागू रहेगी।

जम्मू और श्रीनगर में बड़ी awareness camps

जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी लेवल बैंकर्स कमेटी ने जम्मू और श्रीनगर में mega camps लगाए हैं, जिनमें लोगों को उनके
• unclaimed bank accounts
• insurance amount
• pension funds
• mutual funds
• dividends
जैसे मामलों की जानकारी और onsite verification देकर तुरंत समाधान किया जा रहा है।

क्यों ज़रूरी है यह अभियान?

कई लोग पुराने खाते भूल जाते हैं, कई लोग दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो जाते हैं और कई मामलों में खाताधारकों की मौत के बाद उनके परिवारों को जानकारी नहीं रहती। इस वजह से बड़ी रकम सालों तक बैंकों में पड़ी रह जाती है, जबकि वह पैसा असली हकदारों तक पहुंचना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button