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Jharkhand

Jharkhand: ट्रेजरी से 2800 करोड़ रुपए से ज्यादा गायब, अधिकारियों ने एडवांस निकाला पर नहीं दिया हिसाब

ankit vishwakarma
Last updated: December 2, 2024 7:26 am
ankit vishwakarma 10 months ago
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रांची, 2 दिसंबर, 2024

झारखंड सरकार के ट्रेजरी से विभिन्न विभागों के द्वारा एडवांस के रूप में निकाली गई 2812 करोड़ जैसी बड़ी राशि का कोई हिसाब किताब नहीं है। अधिकारियों को बार-बार निर्देशित किए जाने के बावजूद अब तक 2800 करोड़ से ज्यादा की अग्रिम राशि का हिसाब नहीं जमा हुआ है। बता दें लगभग डेढ़ महीना पहले राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव एल ख्यागते और वित्त सचिव के द्वारा सभी विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर लंबित बिलों को जमा करने का निर्देश दिया था, इसके साथ यह भी कहा गया था कि अग्रिम राशि जिसकी निकासी हुई है अगर वह खर्च नहीं हुई तो उसे वापस से ट्रेजरी में जमा करवाया जाए। बावजूद इसके लगभग 2800 करोड़ से ज्यादा रुपए की अग्रिम राशि का कोई हिसाब नहीं मिल पाया है।

इसे लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया “एक्स” पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “विकास के लिए जो पैसे निर्धारित हैं, उन्हें सरकार और उनके मुलाजिमों की तिजोरी में डालने की साज़िश चल रही है। हाल ही में, ट्रेज़री से 2,812 करोड़ रुपए निकाले गए हैं, जिन्हें सरकार अपनी झोली में डालकर बैठी है।

जब इस फंड का हिसाब मांगा गया, तो सरकार चुप्पी साधे बैठी है। भ्रष्टाचार इतना बढ़ चुका है कि एक विभाग का पैसा दूसरे विभाग वाले निकाल कर हजम कर रहे हैं, और जवाब तक नहीं मिलता। विकास के नाम पर जनता के पैसे का हो रहा यह दुरुपयोग, विकास की राह में सबसे बड़ी रुकावट है।

विकास का पैसा विकास में लगाइए, ना कि अपनी तिजोरी का वजन बढ़ाइए। सरकार को जनता के पैसे का हिसाब देना होगा और इसका सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना होगा।”

वहीं, दूसरी तरफ ट्रेजरी से जुड़े मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड की सत्ता में काबिज मुख्य राजनीतिक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि इस तरीके के आरोप बेबुनियाद हैं , आखिर कहां घपला और घोटाला हो गया, अभी तो सरकार बनी ही है , मुख्यमंत्री ने शपथ ली है अभी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। केवल आरोप लगा देने से नहीं होता है , इसका प्रमाण देना होता है, तथ्यों पर बात करना होता है।

ऐसे भी बाबूलाल मरांडी अपने इसी ही तरह के बयानों के कारण अप्रसांगिक होते जा रहे हैं ,किसी पर आरोप लगाने से पहले , सोचे और तथ्य प्रस्तुत करें, इसी तरह की कोई घपले घोटाले हुए हैं तो वह आगे बढ़े ,उचित फोरम पर अपनी बातों को रखें।

बता दें कि एसी बिल से निकले गए एडवांस राशि का हिसाब एक महीने में जमा करने का प्रावधान है। हिसाब दिए बिना आगे एडवांस नहीं निकालने के निर्देश के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा। एसी बिल से निकल गए एडवांस का हिसाब डीसी बिल द्वारा महालेखाकार को देना होता है।

एसी बिल को एब्सट्रैक्ट कंटिंजेंट – इस बिल के जरिए अग्रिम राशि निकाली जाती है।
डीसी बिल (डिटेल्स कंटिंजेंट) – निकाली गई राशि के खर्च का विवरण और वाउचर इस बिल के माध्यम से जमा किया जाता है।

ऐसे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा लगाए गए आप के बाद झारखंड में सियासत तेज हो गई है हालांकि जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है।

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