
नई दिल्ली, 14 जून 2025
पांच साल के लम्बे इंतजार के बाद लाखों-करोंड़ों श्रध्दालुओं की उम्मीद और हिंदू धर्म में अंतिम तीर्थस्थल माना जाने वाला भगवान शंकर के पवित्र निवास कैलाश मानसरोवर की यात्रा आखिरकार फिर से शुरू हो गई है। इस 2025 पवित्र यात्रा का पहला जत्था शुक्रवार को रवाना हुआ, जिसमें विदेश राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा औपचारिक हरी झंडी दिखाई और इस समारोह में शामिल हुईं।
मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “केएमवाई 2025 के पहले जत्थे को रवाना करने का सौभाग्य मिला है – यह एक पवित्र यात्रा है जो सीमाओं के पार भारत के जीवंत सभ्यतागत संबंधों का प्रमाण है। सभी यात्रियों को सुरक्षित और संतुष्टिदायक यात्रा की शुभकामनाएं। कम समय में केएमवाई 2025 को साकार करने के लिए निर्बाध समन्वय के लिए विदेश मंत्रालय, राज्य सरकारों, आईटीबीपी और सभी एजेंसियों का आभार।” मंत्री ने यात्रियों को बधाई दी तथा उनकी सुरक्षित एवं सुखद यात्रा की कामना की। उन्होंने यात्रा को पुनः आरंभ करने में सहयोग के लिए चीनी पक्ष की भी सराहना की।
अपने धार्मिक महत्व, सांस्कृतिक महत्व, प्राकृतिक सुंदरता और रोमांचक प्राकृतिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा हर साल कई लोगों द्वारा की जाती है। यह हिंदुओं, जैनियों और बौद्धों के लिए धार्मिक महत्व रखती है।
भारत सरकार हर साल जून और सितंबर के बीच उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा (1981 से) और सिक्किम में नाथू ला दर्रा (2015 से) के दो आधिकारिक मार्गों के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन करती है। कोविड-19 प्रकोप और उसके बाद चीनी पक्ष द्वारा यात्रा व्यवस्थाओं का नवीनीकरण न करने के कारण 2020 से यह यात्रा नहीं हुई थी।
भारतीय पक्ष ने अपने राजनयिक संबंधों में चीनी पक्ष के साथ कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का मुद्दा उठाया था, जिसमें 18 नवंबर 2024 को रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री की अपने चीनी समकक्ष के साथ बैठकें और 20-21 फरवरी 2025 को जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान, 18 दिसंबर 2024 को बीजिंग में सीमा प्रश्न पर भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों की 23वीं बैठक और 27 जनवरी 2025 को बीजिंग में चीन के उप विदेश मंत्री के साथ विदेश सचिव की बैठक शामिल हैं।
इन बैठकों में दोनों पक्षों ने 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने का निर्णय लिया।
विदेश मंत्रालय द्वारा अपनी वेबसाइट पर डाली गई सूचना मार्गदर्शिका के अनुसार, “मानसरोवर झील समुद्र तल से 4,590 मीटर (15,060 फीट) ऊपर स्थित है और यह दुनिया की सबसे ऊंची मीठे पानी की झीलों में से एक है। हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, मानसरोवर झील का पानी पीने से पिछले सौ जन्मों के सभी पाप धुल जाते हैं! हालांकि, चाहे वह क्षेत्र की प्राचीन सुंदरता हो या इसका धार्मिक महत्व या बर्फ से ढके पहाड़ी इलाकों के माध्यम से ट्रेक की रोमांचकारी प्रकृति, यात्रा एक बहुत ही पसंदीदा दुनिया से अलग अनुभव है।” वैध भारतीय पासपोर्ट रखने वाला तथा यात्रा वर्ष की 1 जनवरी को 18 से 70 वर्ष के बीच आयु का भारतीय नागरिक ही यात्रा के लिए आवेदन करने का पात्र है।
यात्रियों का चयन निष्पक्ष, कंप्यूटर द्वारा संचालित, यादृच्छिक, लिंग-संतुलित चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है। इसके बाद, चयनित यात्रियों को एसएमएस और ईमेल संदेशों के माध्यम से उनके चयन की सूचना दी जाती है।
विदेश मंत्रालय की ओर से 21 मई को जारी एक बयान के अनुसार, इस वर्ष 5,561 आवेदकों ने सफलतापूर्वक ऑनलाइन पंजीकरण कराया था, जिनमें 4,024 पुरुष आवेदक और 1,537 महिला आवेदक शामिल थीं। कुल 750 चयनित यात्री लिपुलेख मार्ग से 50 यात्रियों के 5 बैचों में और नाथू ला मार्ग से 50 यात्रियों के 10 बैचों में यात्रा करेंगे। विदेश मंत्रालय ने मई में बयान में कहा था कि दोनों मार्ग अब पूरी तरह से मोटर योग्य हैं और इनमें बहुत कम चढ़ाई करनी पड़ती है।






