
कोलकाता, 16 जून 2025
पश्चिम बंगाल में एक बार फिर सत्तापक्ष और विपक्ष में ताजा घटना क्रम से राज्य में माहौल गर्म हो गया है। बीते रविवार सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने दावा करते हुए केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार के खिलाफ कोलकाता के एक पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें तृणमूल कांग्रेस ने दावा करते हुए आरोप लगाया गया है कि उन्होंने एक सिख व्यक्ति पर चप्पल फेंकी जो उसकी पगड़ी पर लगी। वहीं इस मामले में भाजपा ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह केवल विरोध प्रदर्शन में इस्तेमाल की गई एक पेपर कटिंग थी।
दक्षिण कोलकाता के कालीघाट पुलिस थाने में 13 जून को दर्ज प्राथमिकी में दावा किया गया है कि 12 जून को मजूमदार (जो राज्य भाजपा प्रमुख भी हैं) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास के पास हाजरा रोड और हरीश चटर्जी स्ट्रीट के चौराहे पर सार्वजनिक स्थान पर एक चप्पल फेंकी थी।
एफआईआर, जिसकी एक प्रति टीएमसी ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट की थी, में कहा गया है कि शिकायतकर्ता, जो एक सिख व्यक्ति है, ने आरोप लगाया कि यह मजूमदार की ओर से जानबूझकर किया गया कृत्य था, जिससे “धार्मिक विश्वास का अपमान हुआ और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची और उस व्यक्ति पर हमला भी हुआ”।
उक्त एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से की जाने वाली कार्रवाई से उसे सुरक्षा प्रदान करना) और 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत दर्ज की गई थी।
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी ने दावा किया कि सिख समुदाय ने मजूमदार के खिलाफ “उचित गुस्से के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की है”। टीएमसी ने अपने एक्स हैंडल पोस्ट में कहा, “उन्होंने तत्काल और बिना शर्त माफी की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर उनकी आवाज को नजरअंदाज किया गया तो वे व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।”
इस आरोप को खारिज करते हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा कि यह महज एक विरोध प्रदर्शन में इस्तेमाल की गई कागज की कटिंग थी। उन्होंने कहा, “एक मनगढ़ंत कहानी फैलाकर सिख लोगों का अपमान किया जा रहा है।” उन्होंने सिख समुदाय के प्रति भाजपा नेताओं के सम्मान को दर्शाते हुए कहा, “मजूमदार और हमारे जैसे लोगों को जो प्रशिक्षण मिला है, उससे हम गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह के बलिदान के बारे में सीखते हुए बड़े हुए हैं।”
मजूमदार और अन्य नेताओं को 12 जून को महेशतला जाते समय पुलिस ने रोक लिया था, जिसके बाद उन्होंने कोलकाता के कालीघाट इलाके में मुख्यमंत्री के आवास के पास विरोध प्रदर्शन किया था, जो हमेशा चप्पल पहनने के लिए जाने जाते हैं।
बता दे कि एक्स पर एक पोस्ट में मजूमदार ने कहा था, “कल ही, वही @WBPolice रवींद्रनगर में कट्टरपंथी जिहादियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए सफेद कपड़े लहराने के लिए मजबूर हुई थी – रीढ़विहीन, असहाय और अपमानित। और आज, अचानक, वे योद्धा प्रतीत होते हैं – मुख्यमंत्री @MamataOfficial के आदेशों का अंध आज्ञाकारिता के साथ, दासता में डूबे हुए उत्साहपूर्वक पालन करते हुए!” “आज, जब हम हमला किए गए हिंदुओं के साथ खड़े होने के लिए महेशतला की ओर बढ़े, तो प्रशासन ने धारा 163 का हवाला देते हुए हमारा रास्ता रोक दिया। और जब हम बाद में कालीघाट, मुख्यमंत्री के आवास पर उनकी चुप्पी और तुष्टिकरण की राजनीति पर सवाल उठाने गए, तो उनकी वफादार @KolkataPolice हम पर निजी गुलामों की तरह टूट पड़ी – अपने मालिक का आँख मूंदकर बचाव करते हुए। मजूमदार ने कहा, “दिनदहाड़े हमारे नेताओं और @BJP4Bengal कार्यकर्ताओं को बेशर्मी से गिरफ्तार किया गया – यह प्रशासनिक अत्याचार का खुला प्रदर्शन है।”
फिलहाल इस मामले के बाद राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम किस रूप में बदलता है यह आने वाले समय में देखने लायक होगा। वहीं 2026 में राज्य में होने वाले चुनावों के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष में घमासान तेज होता जा रहा है।






