
चैन्नई, 28 मार्च 2025
मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कॉमेडियन कुणाल कामरा को शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के बारे में विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए मुंबई में उनके खिलाफ दर्ज मामले के संबंध में 7 अप्रैल तक अग्रिम जमानत दे दी। न्यायमूर्ति सुंदर मोहन ने यह आदेश तब दिया जब उन्होंने पाया कि कामरा अपने खिलाफ कथित धमकियों के कारण महाराष्ट्र की अदालतों में जाने में असमर्थ हैं।
अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता (कुणाल कामरा) ने समाचार पत्रों में छपी खबरों (उनकी टिप्पणियों को लेकर उन्हें दी जा रही धमकियों के बारे में) को पेश किया है… अंतरिम अग्रिम जमानत इस शर्त पर दी जाती है कि वह न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष बांड भरेंगे।”
यह आदेश तब आया जब कामरा के वकील ने दावा किया कि हास्य कलाकार को लगभग 500 धमकी भरे कॉल आए, जब उन्होंने मुंबई के खार स्थित हैबिटेट कॉमेडी क्लब में एक स्टैंड-अप प्रस्तुति के दौरान शिंदे का नाम लिए बिना उन्हें ” गद्दार ” कहा था। यह तंज शिंदे की 2022 की बगावत की ओर इशारा करता है, जिसके कारण शिवसेना में विभाजन हुआ और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।
इस टिप्पणी से शिंदे की शिवसेना के कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया और उन्होंने स्टूडियो के साथ-साथ उस होटल में भी तोड़फोड़ की जिसके परिसर में क्लब स्थित है।
कामरा के वकील ने कहा, “वास्तविक धमकियां दी जा रही हैं…सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों का नाम रिकॉर्ड में है…500 से अधिक लोगों को। उन्होंने कहा कि वे उसे ‘शिवसेना शैली में सिखाएंगे’। ‘शिवसेना शैली’ क्या है, यह सर्वविदित है।”
कामरा के वकील ने कहा कि व्यंग्य को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत संरक्षित किया जाता है और कॉमेडियन ने अपने शो में किसी का नाम नहीं लिया, जिसे जनवरी में शूट किया गया था। वीडियो पिछले हफ़्ते रिलीज़ किया गया था। उन्होंने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि व्यंग्य, पैरोडी स्वीकार्य भाषा का हिस्सा है।”
इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक स्वस्थ सभ्य समाज का “अभिन्न अंग” है और कला और व्यंग्य “जीवन को समृद्ध करते हैं”। कोर्ट की यह टिप्पणी कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपलोड की गई एक कविता को लेकर दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए आई।






