
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 15 सितंबर 2025 :
यूपी के वाराणसी जिले में रथयात्रा चौराहे पर एक अधिवक्ता की बेरहमी से पिटाई का मामला पुलिस प्रशासन के लिए मुसीबत बन गया है। आरोपी इंस्पेक्टर के निलंबन व केस दर्ज होने के बाद भी नाराज वकीलों ने कार्य बहिष्कार कर धरने के ऐलान किया है।
बता दें कि शनिवार रात भेलूपुर थाना क्षेत्र के रथयात्रा चौराहे पर अधिवक्ता शिव प्रताप सिंह अपनी पत्नी के साथ जा रहे थे, तभी इंस्पेक्टर कन्हैया गोपाल ने कथित तौर पर उनकी बेरहमी से पिटाई की। खून से लथपथ अधिवक्ता का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, पुलिस प्रशासन के खिलाफ आक्रोश भड़क उठा। जनता और अधिवक्ता समुदाय ने इस क्रूरता की कड़ी निंदा की। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने इस घटना को आग की तरह फैलाया, जिसमें खून से लथपथ अधिवक्ता की तस्वीरों ने लोगों का गुस्सा भड़का दिया। जनता के आक्रोश और अधिवक्ताओं के तीखे तेवर के सामने पुलिस प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। मामले को शांत करने की कोशिश में पुलिस ने आनन-फानन में आरोपी इंस्पेक्टर क्राइम कन्हैया गोपाल को निलंबित कर दिया, लेकिन अधिवक्ताओं का गुस्सा ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा।
वायरल वीडियो के जवाब में पुलिस ने एक दूसरा वीडियो प्रसारित किया, जिसमें अधिवक्ता को पुलिस के साथ बहस करते दिखाया गया। वकीलों ने आरोप लगाया कि पुलिस घटना के चुनिंदा हिस्सों को दिखाकर अपने पक्ष को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। उनका सवाल था, “अगर ट्रैफिक नियम तोड़ा भी था, तो चालान क्यों नहीं काटा गया? आखिर किसने पुलिस को बर्बरता का लाइसेंस दे दिया?” अधिवक्ताओं का आरोप है कि पुलिस ने सारी हदें पार कर दीं और उनके खिलाफ क्रूर रवैया अपनाया। इस अन्याय के खिलाफ अधिवक्ताओं ने सोमवार को न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कर जिला जज के पोर्टिको पर धरने की घोषणा की गई। हड़ताल का ऐलान किया गया है, जिससे साफ है कि अधिवक्ता इस मामले को आसानी से ठंडा नहीं होने देंगे।