
गोरखपुर, 21 अगस्त 2025 :
यूपी के गोरखपुर स्थित महाराणा प्रताप महाविद्यालय में महंत अवेद्यनाथ की स्मृति में व्याख्यानमाला’ का आगाज किया गया। सात दिन तक चलने वाले आयोजन में वक्ताओं ने कहा भारतीय ज्ञान परंपरा और मनीषियों ने पूरे विश्व को समग्र दृष्टिकोण प्रदान किया।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार से आये आयुष विभाग के सदस्य प्रो. गिरीन्द्र सिंह तोमर व प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने व्याख्यान माला के सत्र का शुभारंभ किया। प्रो.गिरीन्द्र ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता ने सदियों से विज्ञान, गणित, खगोल, चिकित्सा, आयुर्वेद, योग और दर्शन जैसे अनेक क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान दिया है। भारतीय मनीषियों ने अपने गहन चिंतन और अनुसंधान से न केवल अपने देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी विज्ञान और ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। ऋग्वेद, आयुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद चारों वेदों में प्राकृतिक विज्ञान, चिकित्सा और गणित के सिद्धांतों का वर्णन मिलता है। उपनिषद जो वेदों के ही हिस्से हैं, भारतीय दर्शन का केंद्र बिंदु माने जाते हैं। सदियों से भारतीय ज्ञान परम्परा विश्व को जीवन का समग्र दृष्टिकोण दिखा रही है। भारत के मनीषियों और वैज्ञानिकों का योगदान आने वाले समय में भी अमूल्य होगा।
प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ ने कम आयु में ही अध्यात्म और समाज सेवा के पथ पर अपने कदम बढ़ा दिए। वे गोरखनाथ मठ की उस गौरवशाली परंपरा से जुड़े, जिसकी जड़ें महायोगी गोरखनाथ तक पहुंचती हैं। महंत अवेद्यनाथ का व्यक्तित्व कठोर साधना, अनुशासन और स्पष्टवादिता से परिपूर्ण था। उनका मानना था कि सच्चा संत वही है, जो अपने व्यक्तिगत जीवन को संयम, त्याग और सेवा का उदाहरण बनाए। उद्घाटन सत्र का संचालन महाविद्यालय की बीएड विभाग की अध्यक्ष शिप्रा सिंह ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक सहित सैकड़ों छात्र उपस्थित रहे।






