लखनऊ, 6 सितंबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित देश के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) से डॉक्टरों का पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ जहां संस्थान में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए भर्तियां की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर अनुभवी और विशेषज्ञ डॉक्टर लगातार छोड़ रहे हैं। हाल ही में चार और डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। इन डॉक्टरों ने नोटिस अवधि पूरी होने की इंतजार भी नहीं किया। उन्होंने तीन महीने का वेतन जमा करके तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त होने का विकल्प चुना। इसे संस्थान ने स्वीकार कर भी लिया है।
KGMU से इस्तीफा देने वाले डॉक्टर
डॉ. मनु अग्रवाल (मनोरोग विभाग)
डॉ. तन्वी भार्गव (एनेस्थीसिया विभाग)
डॉ. अशोक कुमार गुप्ता (प्लास्टिक सर्जरी विभाग)
डॉ. करण कौशिक (कार्डियक एनेस्थीसिया विभाग)
इनमें से डॉ. तन्वी भार्गव का चयन संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGI) और डॉ. अशोक कुमार गुप्ता का चयन डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में हो गया है। हालांकि, डॉ. मनु अग्रवाल और डॉ. करण कौशिक के अन्य संस्थानों में जाने की स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।
इन चार डॉक्टरों से पहले भी तीन डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। इनमें पूर्व प्रॉक्टर प्रो. क्षितिज श्रीवास्तव, मनोरोग विशेषज्ञ प्रो. आदर्श त्रिपाठी और रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. अजय कुमार वर्मा शामिल हैं।
सरकारी संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर का शुरुआती वेतन लगभग सवा लाख रुपये मासिक होता है, जो प्रोफेसर स्तर तक बढ़कर तीन लाख रुपये तक पहुंच जाता है। इसके विपरीत निजी अस्पतालों में इन विशेषज्ञ डॉक्टरों को कई गुना अधिक वेतन मिलता है, जो अक्सर 10 लाख रुपये मासिक या उससे भी अधिक हो सकता है। डॉक्टरों के सरकारी संस्थानों से निजी क्षेत्र की ओर जाने का यह एक प्रमुख कारण है।