लखनऊ, 6 जुलाई 2025:
यूपी की राजधानी स्थित अवध शिल्पग्राम में शुक्रवार को शुरू हुए आम महोत्सव का आखिरी दिन बेहद खास बन गया। मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव द्वारा जायजा लेने के बाद प्लेटों में सजे ‘आम’ के लिए लूट मच गई। कीमती और लजीज सैकड़ों किस्म के आम को हासिल करने के लिए किसी ने अपना बैग खोला तो किसी ने हाथों में ही भर लिए। एक महिला अपनी साड़ी के आंचल में ही कई आम सहेज लिए शायद ये सोचकर कि आज बच्चे खुश हो जाएंगे।
बता दें कि महोत्सव में लगभग 800 से अधिक किस्म के आमों को उनके नाम और खूबियों के साथ सजाया गया था। प्रदेश के कोने कोने से बागों से यहां महोत्सव का हिस्सा बनने वाले आम की कीमतें सुनकर ही एक सामान्य आदमी खरीदने से हिचक जाता। सीएम ने शुक्रवार 4 जुलाई को शुभारंभ अवसर पर ऐसी ही तमाम किस्मों के आमों से भरे कंटेनर विदेशों को निर्यात करने के लिए यहीं से रवाना किये थे। सीएम स्वयं इन आमों को देखकर अचरज में थे। किसी का साइज पपीते जैसा था कोई सुर्ख कोई लुभावना हरा रंग लिए। उन्होंने कई आमों को उठाकर करीब लाकर उसकी महक भी महसूस की। इस महोत्सव को खास बनाने के लिए तीन दिन विविध सांस्कृतिक आयोजन भी हुए। शनिवार की रात यहां कवि डॉ. कुमार विश्वास के साथ अन्य नामचीन कवियों ने अपनी रचनाओं का जादू बिखेरा।
रविवार इस महोत्सव का आखिरी दिन रहा। राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह पहुंचे और महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव भी साथ रहीं। दोनों ने साथ साथ प्लेट में सजे आमों को निहारा। मंत्री दिनेश प्रताप ने उन्हें आमों के बारे में बताया कुछ बागवान भी मौजूद रहे। उनसे भी मुलाकात हुई। तीन दिन से खास मेहमानों को लुभा रहे आम अब अपना स्वाद परोसने के लिए बेताब थे। आयोजकों ने उनकी ये ख्वाहिश पूरी कर दी और महोत्सव के आमों को सामान्य लोगों के हवाले कर दिया।
महोत्सव में पहुंची भीड़ की मानो लॉटरी खुल गई। सभी सामने रखे आमों को हासिल करने के लिए बेताब थे। कोई हाथों में भर रहा था कोई साथ मे रहे बैग को ही झोला बना बैठा। जिससे जो बन पड़ा उस तरीके से आम हासिल करने में लग गया। बाजार में मिलने वाले आमों से साइज में बड़े होने के कारण लोगों को थोड़ी दिक्कत भी हुई लेकिन कोशिश जारी रही। इन्हीं सबके बीच एक बेहद सामान्य महिला अपनी साड़ी के पल्लू में आम भरने लगी। उसने कुछ आम रखे और आगे कदम बढ़ाए फिर जाने क्या सोचा कदम रोके और काउंटर के करीब आई और फिर कुछ आम अपनी झोली में डाल लिए व आगे बढ़ गई। मानो कोई अपना याद आ गया हो कि शायद उसके हिस्से का तो लिया ही नहीं। फिलहाल ये नजारा देखकर बागवान और अफसर भी खुश थे कि वीआईपी आम का स्वाद सामान्य लोगों की जबान को मिलेगा तो आम कुछ और मशहूर ही होंगे।