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मध्यप्रदेश : पति की हत्या करने वाली केमिस्ट्री प्रोफेसर को उम्रकैद, कोर्ट में की गई दलीलों से हुई थी वायरल

नई दिल्ली, 30 जुलाई 2025

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में अपनी अपील पर बहस करने वाली पूर्व रसायन विज्ञान की प्रोफेसर ममता पाठक को अदालत से बड़ा झटका लगा है। अपने पति की हत्या के मामले में महिला प्रोफेसर को कोर्ट ने आजीवन कारावास का कठोर सजा सुनाई है।

इस केस का कुछ दिनों पहले एक वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ था, जिसमें अपनी दलीलों से प्रोफेसर सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो गई थी। 97 पन्नों के विस्तृत फैसले में, उच्च न्यायालय ने जिला अदालत द्वारा दिए गए फैसले को बरकरार रखा। जानकारी अनुसार छतरपुर में रसायन विज्ञान की प्रोफेसर के रूप में कार्यरत ममता पाठक को 2022 में अपने पति, सेवानिवृत्त सरकारी चिकित्सक डॉ. नीरज पाठक की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था।

पता चला है कि दंपति के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था और डॉ. पाठक की 2021 में उनके घर में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। पुलिस ने शुरुआत में मौत को बिजली के झटके के रूप में दर्ज किया था। हालांकि, फोरेंसिक और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने संदेह पैदा किया। बाद में, पुलिस ने ममता के खिलाफ हत्या के अपराध में मामला दर्ज किया

दोषी ठहराए जाने के बाद, ममता को अपने मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चे की देखभाल के लिए अंतरिम ज़मानत मिल गई। इस बीच, उन्होंने जिला अदालत के फैसले को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ में चुनौती दी। अपने मामले की पैरवी के लिए वकील न मिलने पर, उन्होंने खुद ही अपनी पैरवी करने का फैसला किया।

अप्रत्याशित रूप से, ममता पाठक ने शांति और आत्मविश्वास से तर्क दिया कि थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिकल बर्न एक जैसे दिख सकते हैं और उनके बीच का अंतर केवल उचित रासायनिक विश्लेषण से ही पता लगाया जा सकता है। अदालत उनकी दलील सुनकर दंग रह गई।

जब जज ने पूछा, “क्या आप रसायन विज्ञान की प्रोफ़ेसर हैं?”, तो उन्होंने जवाब दिया, “हाँ।” उनकी वैज्ञानिक तर्क-शक्ति, दबाव में भी शांतचित्तता और हत्या के मामले में भी जिस तरह से वे अडिग रहीं, उसने उन्हें सोशल मीडिया पर सनसनी बना दिया। मुकदमे की क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। सरकारी वकील मानस मणि वर्मा के अनुसार, अदालत ने मामले को गंभीरता से लिया और ममता पाठक की निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए वरिष्ठ वकील सुरेंद्र सिंह को न्यायमित्र नियुक्त किया।

लंबी सुनवाई के बाद, अदालत ने पाया कि सबूत और परिस्थितियाँ स्पष्ट रूप से उनके अपराध का संकेत दे रही थीं। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों और कानूनी परंपराओं का हवाला देते हुए, पीठ ने फैसला सुनाया कि अपराध गंभीर प्रकृति का था और ममता पाठक को तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।

 

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