
जबलपुर, 28 मार्च 2025
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार को भोपाल स्थित बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के रासायनिक कचरे का पीथमपुर संयंत्र में निपटान करने की अनुमति दे दी। न्यायालय को बताया गया कि परीक्षण के तौर पर जलाने से कोई प्रतिकूल परिणाम नहीं हुआ है।
मुख्य न्यायाधीश एस.के. कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा कि चार दशक पुराने खतरनाक कचरे का 72 दिनों के भीतर धार जिले के संयंत्र में सुरक्षित तरीके से निपटान किया जाएगा।
सरकार ने प्रक्रिया पूरी करने के लिए 72 दिन का समय मांगा था :
पीथमपुर के कुछ स्थानीय संगठन शहर के निकट कचरे के निपटान का विरोध कर रहे थे, लेकिन सरकार ने गुरुवार को अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा कि निपटान के तीन परीक्षण सफल रहे और इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा।
इसके बाद कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करे और कचरे का निपटान करे। याचिकाकर्ता स्वर्गीय आलोक प्रताप सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने बताया कि सरकार को 30 जून को रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।
सिंह ने 1984 गैस रिसाव आपदा के केंद्र, भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से अपशिष्ट को हटाने के संबंध में 2004 में रिट याचिका दायर की थी। 18 फरवरी को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पीथमपुर में तीन चरणों में ट्रायल रन करने की अनुमति दी थी।
अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत सिंह रूपरा ने पीटीआई को बताया कि कार्य की निगरानी कर रही विशेषज्ञ समिति के सुझाव के अनुसार 270 किलोग्राम प्रति घंटे की मात्रा में कचरे को जलाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कचरे को जलाने का काम एक सप्ताह के भीतर शुरू हो जाएगा और यह काम 72 दिनों में पूरा हो जाएगा।
रूप्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेपकर्ताओं से कहा है कि यदि उनकी कोई शिकायत है तो उसे राज्य सरकार के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया है कि यदि कोई हस्तक्षेपकर्ता की शिकायत है तो उस पर विचार किया जाएगा। 2 जनवरी को कुल 337 टन कचरा राज्य की राजधानी से लगभग 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक निजी कंपनी द्वारा संचालित कचरा निपटान संयंत्र में ले जाया गया।
2 और 3 दिसंबर 1984 की मध्य रात्रि को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई। गैस रिसाव के कारण कम से कम 5,479 लोग मारे गए तथा हजारों अन्य विकलांगता और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हुए। इसे विश्व की सबसे बुरी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। फैक्ट्री से निकलने वाले कचरे को औद्योगिक शहर पीथमपुर ले जाने के बाद स्थानीय नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और आशंका जताई कि इस तरह के निपटान से लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर पड़ेगा। कुछ कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन राज्य सरकार ने आश्वासन दिया कि यह प्रक्रिया सुरक्षित होगी।






