National

हिंदी थोपने के आरोप के बाद महाराष्ट्र सरकार ने बदला फैसला, फडणवीस सरकार का यू-टर्न

मुंबई, 29 जून 2025
महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने शनिवार को एक बड़ा राजनीतिक यू-टर्न लेते हुए कक्षा 1 से हिंदी को अनिवार्य बनाने के फैसले को वापस ले लिया है। यह निर्णय न सिर्फ शैक्षणिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दबाव के कारण लिया गया है। विरोधी दलों के तीव्र विरोध, मराठी अस्मिता से जुड़े भावनात्मक मुद्दे और आगामी निकाय चुनावों को देखते हुए सरकार को अपने निर्णय से पीछे हटना पड़ा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत त्रिभाषा फॉर्मूले को लागू करने के नाम पर सरकार ने अप्रैल और जून में दो सरकारी आदेश (GRs) जारी किए थे, जिनमें हिंदी को अनिवार्य भाषा के रूप में लागू करने की बात कही गई थी। लेकिन जैसे ही यह खबर फैली, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), मनसे, कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) समेत पूरा विपक्ष एकजुट हो गया। ठाकरे बंधुओं ने मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए पांच जुलाई को महामोर्चा निकालने की घोषणा कर दी थी।

सरकार के इस फैसले को लेकर राज्यभर में विरोध शुरू हो गया था। सामाजिक संगठनों, शिक्षाविदों और माता-पिता ने इसे बच्चों पर अनावश्यक बोझ बताया। सोशल मीडिया पर इसे “मराठी भाषा पर हमला” बताया गया और “हिंदी किताबों की होलिका” जलाकर विरोध दर्ज कराया गया।

इस जनदबाव और राजनीतिक परिस्थितियों को समझते हुए सरकार ने 16 अप्रैल और 17 जून के आदेश रद्द कर दिए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि अब त्रिभाषा नीति को लेकर एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता शिक्षाविद् डॉ. नरेंद्र जाधव करेंगे। यह समिति तय करेगी कि किस कक्षा से त्रिभाषा नीति लागू हो और बच्चों को क्या विकल्प दिए जाएं।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बात साफ कर दी है कि महाराष्ट्र में भाषा को लेकर भावनाएं अब भी बेहद गहरी हैं और किसी भी फैसले में स्थानीय अस्मिता की अनदेखी करना सत्ता के लिए भारी पड़ सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button