नई दिल्ली, 23 मई 2025
मणिपुर में लम्बे समय से चली आ रही जातीय हिंसा के लिए सरकार ने एक नया कदम उठाते हुए संबंधित मामलों के लिए एक विशेष अदालत का गठन किया है। बता दे कि चुराचांदपुर में एक विशेष एनआईए अदालत बनाई गई है जो राज्य में जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जातीय हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई करेगी। गुरुवार को एक इस संदर्भ में अधिसूचना जारी कर गृह मंत्रालय (एमएचए) ने कहा कि चुराचांदपुर जिले के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत को राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 (2008 का 34) की धारा 11 के तहत एक विशेष अदालत के रूप में नामित किया गया है।
अधिसूचना में कहा गया है, “राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 (2008 का 34) की धारा 11 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से , चुराचांदपुर जिले के जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत को राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच किए गए अनुसूचित अपराधों की सुनवाई के लिए उक्त अधिनियम की धारा 11 की उप-धारा (I) के प्रयोजन के लिए विशेष अदालत के रूप में नामित करती है।”
विशेष न्यायालय का अधिकार क्षेत्र सम्पूर्ण मणिपुर तक विस्तारित होगा। एनआईए ने 3 मई, 2023 को शुरू हुई जातीय हिंसा से संबंधित तीन प्रमुख मामलों को अपने हाथ में ले लिया है। इन मामलों में जिरीबाम में छह महिलाओं और बच्चों का अपहरण और हत्या के साथ-साथ अन्य हिंसक घटनाएं शामिल हैं। एनआईए ने ये मामले नवंबर 2024 में दर्ज किए थे, जब गृह मंत्रालय ने अपराधों की गंभीरता और मणिपुर में बढ़ती हिंसा के कारण इन्हें जांच के लिए एजेंसी को सौंपने का फैसला किया था।
मणिपुर में 3 मई, 2023 से कई महीनों तक हिंसा देखी गई। इसकी शुरुआत तब हुई जब पहाड़ी जिलों में रहने वाले कुकी-ज़ो आदिवासियों ने मैतेईस को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की उच्च न्यायालय की सिफारिश का विरोध किया। इम्फाल घाटी स्थित मैतेईस और निकटवर्ती पहाड़ियों स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में कम से कम 260 लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए।
मणिपुर में वर्तमान में राष्ट्रपति शासन लागू है, जो 9 फरवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के बाद 13 फरवरी को लगाया गया था। राज्य विधानसभा, जिसका कार्यकाल 2027 तक है, को निलंबित कर दिया गया है। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने शांति बहाल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कई कदम उठाए। केंद्र सरकार की ओर से भी राज्य की सड़कों को सामान्य यातायात के लिए खोलने के प्रयास किए गए। हालांकि, विभिन्न कारणों से यह सफल नहीं हो सका।