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SIR की मियाद बढ़ाने पर मायावती भी मुखर, बोलीं… जल्दबाजी में मतदाता सूची से न कटें वैध नाम

बसपा प्रमुख ने बीएलओ पर पड़ रहे अत्यधिक दबाव का मुद्दा भी उठाया, गड़बड़ी की आशंकाओं को देखते हुए चुनाव ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से कराने की बात भी कही

लखनऊ, 9 दिसंबर 2025:

यूपी में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासत जारी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद अब बसपा सुप्रीमो मायावती भी खुलकर सामने आ गई हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से SIR की निर्धारित समय सीमा बढ़ाने की मांग करते हुए कहा है कि प्रक्रिया की जल्दबाजी बीएलओ पर अत्यधिक दबाव डाल रही है। इसके साथ कई वैध मतदाताओं के नाम कटने का खतरा भी बढ़ा रही है।

यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा कि जहां करोड़ों मतदाता हों वहां बीएलओ को पर्याप्त समय दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि काम के तनाव के चलते कई बीएलओ अपनी जान तक गंवा चुके हैं। खासकर ऐसे राज्यों में जहां निकट भविष्य में कोई चुनाव नहीं होने हैं वहां हड़बड़ी की कोई आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने चेताया कि यूपी में 15.40 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। जल्दबाजी में SIR पूरा करने की कोशिश गरीब और प्रवासी मतदाताओं को सूची से बाहर कर सकती है। ये बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा प्रदत्त संवैधानिक मतदान अधिकार का सीधा उल्लंघन होगा।

इसी के साथ मायावती ने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास से संबंधित नियमों पर भी चुनाव आयोग को सुझाव दिया। उनका कहना है कि आपराधिक पृष्ठभूमि बताने की जिम्मेदारी सीधे प्रत्याशी पर होनी चाहिए, न कि राजनीतिक पार्टियों पर।

उन्होंने यह मांग भी दोहराई कि बार-बार उठ रही गड़बड़ी की आशंकाओं को देखते हुए चुनाव ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से कराए जाएं। बसपा प्रमुख का यह बयान संसद में चल रही चुनाव सुधारों पर चर्चा के बीच आया है। इससे राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे पर बहस और तीखी हो गई है।

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