लखनऊ, 26 जून 2025:
यूपी में समाजवादी पार्टी से कुछ दिन पूर्व निष्कासित किये विधायकों ने सपा मुखिया पर तीखे पलटवार किए हैं। विधायक मनोज पांडे व राकेश प्रताप सिंह ने अपने पलटवार में अखिलेश यादव से घर आकर पीडीए देखने को कहा तो अतीत के पैकेज से पर्दा उठाने की सलाह भी दी।
बता दें कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक दिन पूर्व ही अमेठी गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह, रायबरेली के ऊंचाहार से मनोज पांडे व अम्बेडकरनगर गोसाईगंज से अभय सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया था। इन्हें पीडीए विरोधी बताकर जहां रहें विश्वसनीय रहें कहकर टिप्पणी भी की थी।इसके बाद मंगलवार को मीडिया से रूबरू हुए अखिलेश यादव ने फिर तंज कसा और कहा था कि इनका टेक्निकल इश्यू खत्म कर दिया गया है भाजपा इन्हें मंत्री बना दे तो हम बाकियों की समस्या भी हल कर दें।
मनोज पांडे बोले…सपा विचारधारा से भटक गई, मैंने जो किया अंतरात्मा की आवाज पर किया
गुरुवार को विधायक मनोज पांडे भी मीडिया से मुखातिब हुए और कहा कि वह व्यक्ति जिसे जनता ने धूलधूसरित किया है। यदि किसी को पीडीए देखना है तो उसे मनोज पांडेय के घर आना होगा। मैंने कभी भी जाति का भेदभाव नहीं किया। सपा में धर्म के नाम पर आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा था। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा और कहा की कोई श्रीराम को गाली देने का काम कर रहा था। मेरी अंतरात्मा जगी हुई थी, मैंने विरोध किया। हाउस में भी इसी बात को कहा। मैंने सपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को भी समझाने का प्रयास किया तो परिणाम क्या हुआ कि उस व्यक्ति को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया और उसके बाद लखनऊ में रामचरित मानस की प्रतियों को जलवाने का काम किया गया। उसी व्यक्ति को विधान परिषद का सदस्य बना दिया गया। इसके बाद मुझे लगा कि शायद भावनाओं का ख्याल नहीं किया जा रहा है। मैंने जो भी किया अपनी अंतरात्मा की आवाज पर किया। सपा विचारधारा से भटक गई है और उसमें उन्हें हर दिन घुटन होती थी।
राकेश प्रताप ने कहा- अतीत के पैकेज से भी पर्दा उठाएं सपा सुप्रीमो
दूसरे विधायक राकेश प्रताप सिंह ने अपने एक्स हैंडल से अखिलेश यादव को जवाब दिया। इसमें कारोबारी संजय सेठ को लेकर की गई टिप्पणी का जवाब दिया है। इसमें कहा गया है कि सपा सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्यसभा के जिन सम्मानित सदस्य के हवाले से पैकेज सम्बन्धी, अपने अनुभव का जिक्र वो दोहराते आजकल नजर आ रहे हैं। उचित होगा कि अतीत के भी पैकेज से पर्दा हटा दें तो अच्छा होगा। जब आप सत्ता के शीर्ष पर थे तो कितने पैकेज से लाभान्वित होकर आपने तत्कालीन राज्यपाल को विधान परिषद सदस्य के लिए ‘श्री सेठ जी’ का नाम सुझाया था। जब तत्कालीन राज्यपाल ने आपके द्वारा प्रस्तावित ‘श्री सेठ जी’ का नाम ठुकरा दिया था तो क्या आपने पूर्व में ‘श्री सेठ’ द्वारा दिए गए पैकेज के दबाव में उन्हें राज्यसभा भेजने का काम किया था? या पैकेज का आकार बढ़ा दिया गया था।