
काठमांडू, 9 सितंबर 2025:
नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब साढ़े तीन सौ लोग घायल बताए जा रहे हैं। राजधानी काठमांडू में सोमवार को प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में घुस गए और तोड़फोड़ की, जिसके बाद कई जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं।

हिंसा काठमांडू से निकलकर पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहारी और दमक तक फैल गई। हालात काबू में करने के लिए कर्फ्यू लागू कर सेना को तैनात करना पड़ा। पुलिस ने लाठीचार्ज, आंसू गैस और रबर बुलेट के बाद गोलियां चलाईं। इसके बाद भी विरोध प्रदर्शन जारी है।
हालात को देखते हुए सोमवार देर रात सरकार ने झुकते हुए सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया। संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने बताया कि कैबिनेट की आपात बैठक में प्रतिबंध का फैसला वापस ले लिया गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी साफ किया कि सरकार सोशल मीडिया पर रोक के पक्ष में नहीं है।
स्थिति बिगड़ने के बाद सोमवार को गृह मंत्री रमेश लेखक, मंगलवार को कृषि एवं पशुपालन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल ने पद से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार को भी न्यू बानेश्वर और काठमांडू के कई इलाकों में प्रदर्शनकारी जुटे। अब तक 40 से अधिक प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पुलिस के मुताबिक काठमांडू में 18 और सुनसरी में दो युवाओं की मौत हुई। विभिन्न अस्पतालों में सैकड़ों घायल भर्ती हैं, जिनमें दस की हालत गंभीर है।
इस आंदोलन को ‘जेन-जी अभियान’ कहा जा रहा है। जेन-जी वह पीढ़ी है, जो 1997 से 2012 के बीच जन्मी है और जिसने सबसे पहले इंटरनेट और डिजिटल तकनीक का अनुभव किया।
नेपाल के हालात को देखते हुए भारत ने सीमा पर अलर्ट जारी किया है। एसएसबी को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी तरह की अशांति भारतीय क्षेत्र में न फैले।






