नयी दिल्ली,21 फरवरी 2025:
कैंसर मरीजों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। अब स्वदेशी कार्ट-टी सेल थेरेपी के माध्यम से कैंसर का इलाज संभव होगा। यह थेरेपी न केवल अधिक सुरक्षित है, बल्कि विदेशों में उपलब्ध कार्ट-टी सेल थेरेपी की तुलना में कहीं अधिक किफायती भी होगी। अब तक इस थेरेपी के दो चरणों का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है, जिसके नतीजे बेहद संतोषजनक रहे हैं। इन सकारात्मक परिणामों के आधार पर इसे व्यावसायिक उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई है और बाजार में उपलब्ध कराया गया है।
मुंबई आईआईटी के डॉ. राहुल पुरवार ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की जानकारी देते हुए कहा कि भारत में कैंसर तेजी से फैल रहा है और यह मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन चुका है। लाखों मरीज इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन इलाज की उच्च लागत के कारण कई लोगों को उचित उपचार नहीं मिल पाता। अभी तक कार्ट-टी सेल थेरेपी केवल विदेशों में उपलब्ध थी और इसकी लागत लगभग 5 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 4 करोड़ रुपये) तक थी, जिससे यह आम आदमी की पहुंच से बाहर थी। लेकिन अब भारत में विकसित स्वदेशी कार्ट-टी सेल थेरेपी के माध्यम से यह इलाज अधिक सुलभ और किफायती हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि इस थेरेपी के दो फेज के क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे किए जा चुके हैं, जिनके परिणाम बेहद सकारात्मक रहे। इस थेरेपी को व्यावसायिक उपयोग के लिए मंजूरी मिलने के बाद अब भारत में 300 से अधिक मरीज इसका लाभ उठा चुके हैं। आने वाले समय में इससे लाखों कैंसर मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है।
गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण के उपचार में भी मिली सफलता
वहीं, औरंगाबाद के वॉकहार्ट रिसर्च सेंटर के डॉ. सचिन एस. भागवत ने एंटीबायोटिक्स और बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में हो रही नई खोजों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एंटीबायोटिक्स आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का एक अहम हिस्सा हैं, लेकिन हाल के वर्षों में एंटिमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के कारण मौजूदा एंटीबायोटिक्स तेजी से अप्रभावी होते जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट (MDR), एक्सटेंडेड-ड्रग रेजिस्टेंट (XDR) और पैन-ड्रग रेजिस्टेंट (PDR) ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया, विशेष रूप से कार्बापेनेम-प्रतिरोधी स्ट्रेन्स, चिकित्सा जगत के सामने एक गंभीर चुनौती बन चुके हैं। हर साल इस संक्रमण से लगभग 8.85 लाख मौतें होती हैं, जबकि 9.6 लाख अतिरिक्त मौतें सेप्सिस से जुड़ी होती हैं।
इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए उनकी टीम ने एक नई दवा विकसित की है, जिसे सेफेपाइम के साथ संयोजित किया गया है। इस संयोजन ने 35,000 वैश्विक पैन-ड्रग प्रतिरोधी ग्राम-नेगेटिव स्ट्रेन्स के खिलाफ उच्च प्रभावशीलता प्रदर्शित की है। प्रारंभिक चरण में इस नई दवा से 45 से अधिक मरीजों की जान बचाई जा चुकी है। गंभीर कार्बापेनेम-प्रतिरोधी संक्रमणों के खिलाफ किए गए परीक्षण सफल रहे हैं और यह खोज गंभीर बैक्टीरियल संक्रमणों के उपचार में एक नए युग की शुरुआत कर सकती है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में नए आयाम
भारत में कैंसर और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए स्वदेशी स्तर पर किए जा रहे ये शोध और खोजें एक बड़ी सफलता की ओर इशारा करती हैं। कार्ट-टी सेल थेरेपी जहां कैंसर मरीजों के लिए एक नई आशा लेकर आई है, वहीं नई एंटीबायोटिक्स दवाओं का विकास बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने में एक मजबूत कदम साबित हो सकता है।
ये दोनों खोजें न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं और आने वाले समय में लाखों मरीजों को राहत प्रदान कर सकती हैं।