
नई दिल्ली, 3 अप्रैल 2025:
लोकसभा में बुधवार आधी रात को वक्फ संशोधन विधेयक बहुमत से पारित होने के बाद गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए बताया कि एक करोड़ से अधिक सुझाव इसके समर्थन में मिले हैं।
केंद्रीय मंत्री ने सदन के सामने रखे ये तथ्य
सदन में चर्चा के दौरान किरेन रिजिजू ने बताया कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने 10 शहरों में जाकर विधेयक को लेकर लोगों की राय ली और 284 संगठनों से बातचीत की। उन्होंने वक्फ बोर्ड और वक्फ कानून के संबंध में कई तथ्य सदन में रखे।
-1954 में वक्फ को लेकर राज्यों में बोर्ड का गठन हुआ था।
-1995 में वक्फ से संबंधित विस्तृत कानून बनाया गया।
-2013 में यूपीए सरकार ने चुनाव से पहले वक्फ कानून में कुछ बदलाव किए थे।
-उस समय जेपीसी में 13 सदस्य थे, इस बार 31 सदस्य थे।
-पिछली बार 22 बैठकें हुई थीं, इस बार 36 बैठकें हुईं।
-पहले 14 राज्यों से चर्चा हुई थी, इस बार 25 राज्यों और अन्य संगठनों से चर्चा की गई।
रिजिजू बोले-धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का सवाल नहीं
विधेयक पर उठ रहे सवालों को लेकर रिजिजू ने स्पष्ट किया कि मुसलमानों के धार्मिक मामलों या वक्फ में गैर-मुस्लिमों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। यदि कोई मुसलमान अपनी संपत्ति का प्रबंधन खुद करना चाहता है, तो उसे वक्फ बोर्ड में शामिल होने की आवश्यकता नहीं है। वक्फ बोर्ड केवल संपत्ति के प्रबंधन के लिए है, धार्मिक मामलों में इसका कोई दखल नहीं। वक्फ संपत्ति की देखरेख करने वाले मुतवल्ली पर निगरानी रखने के लिए ही वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है।
लोकसभा : पक्ष में 288 और विरोध में पड़े 232 वोट
लोकसभा में बुधवार को मैराथन चर्चा के बाद वोटिंग कराई गई। विधेयक के पक्ष में 288 वोट, जबकि विरोध में 232 वोट पड़े। विपक्ष द्वारा पेश किए गए सभी संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया।
विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव खारिज
लोकसभा में विपक्षी सांसद एनके प्रेमचंद्रन के संशोधन प्रस्ताव पर रात 1:15 बजे मतदान हुआ, जिसमें यह खारिज कर दिया गया। इस संशोधन में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य न रखने का प्रस्ताव था। लोकसभा में इस विधेयक पर 12 घंटे से अधिक चर्चा हुई।