
अनिता चौधरी
नई दिल्ली, 29 मार्च 2025:
भारत के बुनियादी ढांचे में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि जुड़ने जा रही है। इस साल रामनवमी के अवसर पर 6 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के रामेश्वरम में देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज “पंबन रेल पुल” का उद्घाटन करेंगे। यह आधुनिक तकनीक से निर्मित पुल दक्षिण भारत के तमिलनाडु की मुख्य भूमि को रामेश्वरम से जोड़ने का एक नया और प्रभावी साधन बनेगा।

देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज
दि हो हल्ला से विशेष साक्षात्कार में रेल मंत्रालय के अधिशासी निदेशक (सूचना एवं जनसंपर्क) दिलीप कुमार ने बताया कि पंबन वर्टिकल सी ब्रिज अपनी संरचना और तकनीक में अनूठा है। यह 2.08 किलोमीटर लंबा पुल 99 स्पैन और एक नेविगेशनल स्पैन के साथ तैयार किया गया है। इसका प्रत्येक स्पैन 18.3 मीटर और नेविगेशनल स्पैन 63 मीटर लंबा है। पुराने पुल की तुलना में यह 3 मीटर अधिक ऊंचा है, जिससे समुद्र के जहाजों के आवागमन के लिए इसकी नेविगेशनल एयर क्लीयरेंस 22 मीटर हो जाती है। ये पुल 535 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है।
उलेखनीय है कि पंबन सी ब्रिज तमिलनाडु के मंडपम से समुद्र के बीच में स्थित रामेश्वरम तक बनाया गया है। बता दें कि भारतीय प्रायद्वीप में मंडपम जमीन की सीमा में रेलवे का यह अंतिम स्टेशन है। वहीं, रामेश्वरम मन्नार की खाड़ी में है जो समुद्री सीमा का अंतिम छोर है । सबसे अहम बात तो यह है कि नया पुल शुरू होने से एक ही बार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामेश्वरम तक पहुंच सकेंगे।

तकनीकी विशेषताएं और निर्माण
-लंबाई : 2.08 किलोमीटर
-स्पैन की संख्या : 99 स्पैन (18.3 मीटर प्रत्येक), 1 वर्टिकल लिफ्ट स्पैन (72.5 मीटर)
-नींव संरचना : 333 पाइल और 101 पाइल कैप
-डिजाइन : अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार TYPSA द्वारा विकसित, IIT मद्रास और IIT बॉम्बे द्वारा सत्यापित
-सुरक्षा और स्थायित्व : पॉलीसिलोक्सेन पेंट, स्टेनलेस स्टील सुदृढीकरण और फाइबर प्रबलित प्लास्टिक (FRP) का उपयोग
-तकनीकी इंटरलॉकिंग : इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कंट्रोल सिस्टम से लैस, ट्रेन कंट्रोल सिस्टम से इंटरलॉक
कैसे काम करेगा वर्टिकल लिफ्ट सिस्टम
पुल में वर्टिकल लिफ्ट तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे इसका एक भाग ऊपर उठाकर बड़े जहाजों को गुजरने दिया जा सकता है। इस तकनीक से बिजली की खपत भी कम होगी। पुल का ट्रायल रन 2024 में पूरा हो चुका है, जिसमें ट्रेन की गति 80-90 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की गई।
पुराने पंबन पुल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1914 में शुरू किया गया पुराना पंबन पुल 110 वर्षों तक श्रद्धालुओं, व्यापारियों और स्थानीय लोगों की जीवनरेखा बना रहा। ब्रिटिश शासन के दौरान 1870 के दशक में इसकी योजना बनाई गई थी, लेकिन कई कारणों से इसका निर्माण 1911 में शुरू हुआ और 1914 में पूरा हुआ। 2022 में यह पुल अपनी जर्जर स्थिति के कारण बंद कर दिया गया था।
तीर्थयात्रा और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
रामेश्वरम हिंदू श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां हर साल लगभग 25 लाख तीर्थयात्री रामनाथस्वामी मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। नया पुल यात्रियों को सुविधाजनक और तेज़ यात्रा का अनुभव प्रदान करेगा। यही वह स्थान है जहां प्रभु श्रीराम ने भगवान शिव की आराधना कर लंका जीत का आह्वान किया था। अपनी वानर सेना और नल और नील की मदद से रामसेतु का निर्माण किया था। यही से त्रेता काल में धर्म की स्थापना के लिए धर्म युद्ध का शंखनाद हुआ था। नए पुल के साथ, तीर्थयात्री अब अधिक आराम से यात्रा कर सकते हैं, जिससे वे इस क्षेत्र की आध्यात्मिक समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं।
भारत के बुनियादी ढांचे में बड़ी उपलब्धि
नया पंबन ब्रिज भारत के नवाचार, आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक धरोहर को जोड़ने का एक अनूठा उदाहरण है। यह न केवल रेलवे और समुद्री परिवहन को सुगम बनाएगा, बल्कि व्यापार, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नया प्रोत्साहन देगा। रामनवमी के पावन अवसर पर इस पुल का उद्घाटन, इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को और बढ़ा देता है।
