लखनऊ, 23 दिसंबर 2025:
यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को शिक्षा व्यवस्था को लेकर बहस देखने को मिली।विधानसभा की कार्यवाही के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों ने परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, स्कूल मर्जर, शिक्षकों की भारी कमी और निजी स्कूलों की मनमानी पर सरकार को घेरा। विपक्ष के आरोपों पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने जवाब दिया।
सपा विधायक डॉ. आरके वर्मा ने निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों के कथित शोषण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल मनमाने ढंग से शुल्क वसूल रहे हैं और शिक्षा का व्यवसायीकरण हो चुका है। आरटीई अधिनियम के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों के नामांकन का प्रावधान है लेकिन सरकार इसे सख्ती से लागू कराने में विफल रही है।

उन्होंने सरकार पर गरीब विरोधी होने का आरोप लगाते हुए मांग की कि सरकारी स्कूलों की तरह निजी स्कूलों में भी पुस्तकों का निर्धारण किया जाए ताकि अभिभावकों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचाया जा सके। सपा के कई अन्य विधायकों ने सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति और गिरते शैक्षणिक स्तर को लेकर सवाल खड़े किए। अंग्रेजी शिक्षा की कमी को भी गंभीर मुद्दा बताया गया।
विधायक सचिन यादव ने कहा कि प्रदेश में लगभग 1.5 लाख शिक्षकों के पद खाली हैं। शिक्षक केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि उनसे चुनाव ड्यूटी, सर्वे, एसआईआर, मिड-डे मील और अन्य प्रशासनिक कार्य कराए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर साल करीब 12 हजार शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन पिछले छह वर्षों से कोई नई भर्ती नहीं हुई। उनका आरोप था कि आरक्षण से बचने के लिए सरकार जानबूझकर भर्ती प्रक्रिया टाल रही है।
ब्रजेश कटारिया ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होने के कारण गरीब परिवार अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने को मजबूर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षकों को डाटा एंट्री ऑपरेटर बना दिया गया है जिससे उनका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। विधायक डॉ. रागिनी ने स्कूल मर्जर पर सवाल उठाते हुए पूछा कि यदि बच्चों की संख्या कम थी तो पिछले आठ वर्षों में सरकार ने नामांकन बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए। उन्होंने शिक्षामित्रों के समायोजन और मानदेय बढ़ाने की भी मांग की।
विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि शिक्षकों के स्वीकृत पद समाप्त करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। शिक्षक-छात्र अनुपात बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई स्कूल बंद नहीं किया गया है, बल्कि एक किलोमीटर के दायरे में स्थित और 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का मर्जर किया गया है। इससे छात्र संख्या और शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ी है। खाली हुए भवनों में बाल वाटिकाएं संचालित की जा रही हैं। UP Vidhansabha News
मंत्री ने शिक्षकों के ऑनलाइन तबादला सिस्टम को पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम बताया और कहा कि कैशलेस इलाज की सुविधा देकर शिक्षकों के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जा रहा है। शिक्षा को लेकर सदन में हुई यह बहस आने वाले समय में सरकार की नीतियों पर बड़ा असर डाल सकती है।






