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राजनीति में बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी, पंचायत से संसद तक दिख रहा असर

नई दिल्ली, 31 जुलाई 2025

महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार की नीतियों का असर अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। पंचायत से लेकर संसद तक महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में बताया कि सरकार ने राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिनमें ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’, ‘सशक्त पंचायत-नेत्री अभियान’ और ‘आदर्श महिला-हितैषी ग्राम पंचायत पहल’ शामिल हैं।

मंत्रालय के मुताबिक, 1957 में जहां लोकसभा चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की भागीदारी महज 3% थी, वहीं 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 10% हो गया है। पहली लोकसभा में 22 महिला सांसद थीं, जो 17वीं लोकसभा में बढ़कर 78 और 18वीं लोकसभा में 75 हो गईं। वर्तमान में लोकसभा में महिला सांसदों की हिस्सेदारी लगभग 14% है, जबकि राज्यसभा में 1952 में 15 महिला सदस्य थीं, जो अब 42 तक पहुंच चुकी हैं, यानी करीब 17%।

पंचायती स्तर पर भी महिला नेतृत्व का विस्तार हुआ है। मंत्रालय ने जानकारी दी कि देशभर में पंचायती राज संस्थाओं में कुल 14.5 लाख निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं, जो कुल चुने गए प्रतिनिधियों का 46% हैं। भारत दुनिया का ऐसा देश बन गया है जहां इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं लोकतांत्रिक ढांचे का हिस्सा हैं।

21 राज्यों ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया है, जबकि संविधान में न्यूनतम 33% आरक्षण की बात है।

2023 में लागू हुए नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की गई हैं। वहीं, ‘सशक्त पंचायत-नेत्री अभियान’ महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को निखारने और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है।

सरकार की ‘आदर्श महिला-हितैषी ग्राम पंचायत पहल’ के जरिए हर जिले में ऐसी पंचायतें तैयार की जा रही हैं, जो महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण तैयार करें।

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