
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 19 अप्रैल 2025:
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हिन्दी विभाग की छात्रा अर्चिता सिंह और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े छात्र भाष्करादित्य त्रिपाठी एक ही सीट पर दावेदारी को लेकर आमने-सामने हैं। दोनों छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर अनियमितता के आरोप लगाते हुए अलग-अलग स्थानों पर धरना शुरू कर दिया है। अब इस मामले में करणी सेना के हस्तक्षेप से विवाद और गहरा गया है।

ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र को लेकर विवाद, अर्चिता ने प्रशासन पर लगाया भेदभाव का आरोप
हिन्दी विभाग की छात्रा अर्चिता सिंह गुरुवार से बीएचयू के केंद्रीय कार्यालय के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठी हैं। अर्चिता का आरोप है कि उन्होंने पीएचडी प्रवेश की काउंसिलिंग में हिस्सा लेकर आवश्यक दस्तावेज जमा किए थे। उनका पिछला आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) प्रमाण पत्र पुराना था, जिसे अद्यतन करने के लिए उन्होंने शपथ पत्र के साथ 31 मार्च तक नया प्रमाण पत्र देने का वादा किया था। 29 मार्च को उन्होंने नया प्रमाण पत्र ईमेल और हार्ड कॉपी के जरिए विभाग को सौंप भी दिया, लेकिन फिर भी प्रतीक्षा सूची में पहले स्थान पर होने के बावजूद उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। अर्चिता का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वह धरना समाप्त नहीं करेंगी। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है, क्योंकि अन्य छात्रों को दस्तावेज जमा करने की छूट दी गई, लेकिन उन्हें नहीं।
दूसरे दावेदार भाष्करादित्य त्रिपाठी का आरोप : अर्चिता को अवैध लाभ देने की साजिश
उसी सीट पर दावेदारी कर रहे एबीवीपी के भाष्करादित्य त्रिपाठी ने भी कुलपति आवास के बाहर धरना शुरू कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग के कुछ प्रोफेसरों ने मिलीभगत कर अर्चिता का पुराना प्रमाण पत्र बैकडेट में स्वीकार करने की कोशिश की। उनका कहना है कि यह उनके अधिकारों का हनन है और वे तब तक धरना जारी रखेंगे, जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता।
कुलपति के हस्तक्षेप के बावजूद नहीं निकला समाधान
विवाद बढ़ता देख कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार शुक्रवार देर रात अर्चिता से मिलने पहुंचे। उन्होंने जमीन पर बैठकर उनकी शिकायतें सुनीं, लेकिन समाधान नहीं हो सका। इससे पहले विभागाध्यक्ष और परीक्षा नियंत्रक समेत अन्य अधिकारी भी अर्चिता को मनाने की कोशिश कर चुके हैं, पर वे अडिग हैं।
करणी सेना का समर्थन, प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम
मामले ने और तूल पकड़ा जब करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी अर्चिता के समर्थन में धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने बीएचयू प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और चेतावनी दी कि यदि 24 घंटे के भीतर अर्चिता को प्रवेश नहीं दिया गया, तो करणी सेना प्रदेशभर से कार्यकर्ताओं को बुलाकर आंदोलन करेगी।
पहले भी विवादों में रही है पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया
यह पहला मौका नहीं है जब बीएचयू की पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया विवादों में आई हो। इससे पहले भी छात्रों के आंदोलनों और आरोपों के कारण विश्वविद्यालय को शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के समक्ष जवाब देना पड़ा था। इस बार दो छात्रों के आमने-सामने धरने और बाहरी संगठन की चेतावनी ने विश्वविद्यालय प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।






