
संभल,20 मार्च 2025
उत्तर प्रदेश के संभल में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित होने वाले नेजा मेले को लेकर राजनीति गरमा गई है। पुलिस ने इस मेले की अनुमति नहीं दी, जिसके बाद इस पर विवाद शुरू हो गया। सुन्नी धर्मगुरु मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि जब एक धर्म को अनुमति दी जाती है तो दूसरे को भी मिलनी चाहिए, क्योंकि मेले, जुलूस और त्योहार गंगा-जमुनी तहजीब का हिस्सा हैं। प्रशासन ने भले ही नेजा मेले को अनुमति नहीं दी, लेकिन सरकारी अभिलेखों में सैयद सालार मसूद गाजी को 11वीं शताब्दी का इस्लामिक संत और सैनिक बताया गया है।
यूपी पर्यटन विभाग की वेबसाइट के मुताबिक, सालार मसूद एक प्रसिद्ध इस्लामिक संत और सैनिक थे, जिनकी दरगाह हिंदू और मुसलमानों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। इसे फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। हालांकि, संभल के एएसपी श्रीश चंद्र ने मेले की अनुमति देने से इनकार करते हुए सालार मसूद को लुटेरा बताया। उन्होंने कहा कि वह महमूद गजनवी का सेनापति था और उसने सोमनाथ को लूटा था, इसलिए उसकी याद में किसी भी आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इस पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने बीजेपी पर नफरत फैलाने और धार्मिक मुद्दों पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल हो रही है, इसलिए ध्यान भटकाने के लिए मजार और मेले के नाम पर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग की वेबसाइट में सालार मसूद को संत बताया गया है, हर व्यक्ति का इतिहास होता है।
मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि मेले की अनुमति देने से पहले प्रशासन को मेला कमेटी से बातचीत करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने प्रशासन पर केवल अपनी उपलब्धि दिखाने के लिए कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने पूछा कि आखिर संभल में ही ऐसा क्यों किया जा रहा है, जबकि लाखों लोग सैयद सालार मसूद गाजी की मजार पर जाते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने कहा कि प्रशासन कानून व्यवस्था को देखते हुए मेले की अनुमति नहीं देना चाहता। सरकार किसी धर्म से परहेज नहीं करती और सभी महापुरुषों का सम्मान करती है, लेकिन संतों के नाम पर सांप्रदायिकता नहीं फैलने देना चाहती। नेजा मेले की अनुमति न देने का मकसद शहर का माहौल बिगड़ने से रोकना और किसी भी तरह के दंगे को टालना है।