
पुणे, 26 अप्रैल 2025
पुणे पोर्शे दुर्घटना में शामिल 17 वर्षीय लड़के की मां, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने के चार दिन बाद शनिवार को जेल से बाहर आ गई। दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी। वह कथित रक्त नमूने की अदला-बदली मामले में गिरफ्तार 10 आरोपियों में से जमानत पर रिहा होने वाली पहली महिला हैं। हिरासत में लिए गए अन्य लोगों में किशोरी के पिता, ससून अस्पताल के डॉक्टर अजय टावरे और श्रीहरि हलनोर, अस्पताल के कर्मचारी अतुल घाटकांबले, दो बिचौलिए और तीन अन्य शामिल हैं।
पिछले साल 19 मई की सुबह पुणे के कल्याणी नगर में कथित तौर पर नशे की हालत में 17 वर्षीय एक लड़के द्वारा चलाई जा रही पोर्श कार ने दो आईटी पेशेवरों को टक्कर मार दी थी। लड़के की मां पर आरोप है कि उन्होंने दुर्घटना के समय अपने बेटे के नशे में होने की बात छिपाने के लिए अपने रक्त के नमूने की जगह अपना रक्त नमूना ले लिया।
मां को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुणे की एक अदालत को जमानत की शर्तें तय करने का निर्देश दिया था। इसके अनुसार, शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। विशेष सरकारी वकील शिशिर हिरय ने राज्य की ओर से पैरवी की, जबकि अधिवक्ता अंगद गिल और ध्वनि शाह महिला की ओर से पेश हुए।
अधिवक्ता हिरय ने कहा, “हमने पुणे जिले में उनके रहने पर रोक लगाने, पासपोर्ट जब्त करने, पुलिस स्टेशन में अनिवार्य उपस्थिति और हर समय उनका मोबाइल लोकेशन चालू रखने जैसी शर्तें मांगी थीं।” हालांकि, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमोल शिंदे ने अभियोजन पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्हें पुणे में रहने से प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी, लेकिन अन्य शर्तें स्वीकार कर लीं।
बचाव पक्ष के वकीलों ने पुणे से बाहर रहने की शर्त का विरोध किया, जिसमें उनके पति की हिरासत और कानूनी कार्यवाही में सहायता के लिए शहर में उनकी उपस्थिति की आवश्यकता का हवाला दिया गया। उन्होंने प्रस्तावित 5 लाख रुपये की जमानत और रोजाना पुलिस स्टेशन जाने पर भी आपत्ति जताई। बचाव पक्ष के वकील ने कहा, “हमने तर्क दिया कि चूंकि आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और उससे कोई वसूली लंबित नहीं है, इसलिए ऐसी सख्त शर्तें अनुचित हैं।”
अदालत ने दलीलें स्वीकार कर लीं और मानक जमानत शर्तें लगाईं, जिनमें एक लाख रुपये का निजी मुचलका, जांच अधिकारी को पासपोर्ट जमा कराना, मोबाइल टावर लोकेशन अनिवार्य रूप से साझा करना और अदालत की अनुमति के बिना भारत छोड़ने पर प्रतिबंध शामिल है। अदालत ने महिला पर तीन महीने तक अपनी पहचान उजागर करने पर भी रोक लगा दी है तथा उसे हर बुधवार को पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने को कहा है।