नई दिल्ली, 4 दिसंबर 2025 :
8 दशक पुरानी दोस्ती और भरोसे को नए आयाम पर ले जाने वाला व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन का यह दौरा, भारत-रूस संबंधों में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित होने वाला है। क्योंकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज से भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आ रहे हैं। इस दौरान वह नई दिल्ली में 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह पुतिन की भारत में पहली यात्रा है और कई मायनों में यह दौरा बेहद खास माना जा रहा है। इस समय भारत पर अमेरिकी दबाव बढ़ा है ताकि वह रूस से तेल खरीदना कम करे, लेकिन पुतिन की यह यात्रा अमेरिका, पड़ोसी पाकिस्तान और वैश्विक मंच पर एक संदेश देने के साथ-साथ भारत के लिए बड़े समझौते लेकर आने वाली है। आइए विस्तार से समझते हैं भारत-रूस के बीच क्या-क्या समझौते होने की उम्मीद है…

S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का विस्तार
सबसे प्रमुख चर्चा का विषय होगा S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम। भारत रूस से अतिरिक्त बैच खरीदना चाहता है, क्योंकि यह हथियार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बेहद प्रभावी साबित हुए। 2018 में पांच S-400 यूनिट्स के लिए 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के डील पर हस्ताक्षर हुए थे, जिनमें से तीन यूनिट्स भारत पहुँच चुकी हैं और अगले साल मध्य तक बाकी दो स्क्वाड्रन आने की उम्मीद है।
Su-57: अगली पीढ़ी का फाइटर जेट
रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि बैठक में रूस के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान Su-57 में भारत की रुचि भी शामिल हो सकती है। पेसकोव ने इसे “दुनिया का सबसे अच्छा विमान” बताया और कहा कि ब्राह्मोस जैसी संयुक्त रक्षा तकनीक परियोजनाओं का विस्तार करने की मास्को की इच्छा है। भारत इस समय राफेल, एफ-21, एफ/ए-18 और यूरोफाइटर टाइफून जैसे विकल्पों के साथ अगली पीढ़ी के फाइटर जेट्स का मूल्यांकन कर रहा है। इसके अलावा भारत रूस से लंबित सैन्य हार्डवेयर की जल्द डिलीवरी पर जोर देगा। यूक्रेन युद्ध के बाद कई प्लेटफॉर्म की डिलीवरी में देरी हुई है, जिसे भारत जल्द पूरा करना चाहता है।
ऊर्जा सुरक्षा और तेल आयात
बैठक में भारत की ऊर्जा सुरक्षा भी मुख्य मुद्दा होगी। अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद रूस की सप्लाई बनाए रखने की कोशिश जारी है, हालांकि पेसकोव ने कहा कि भारत की खरीदारी में “थोड़े समय के लिए” गिरावट आ सकती है।
व्यापार और श्रमिक समझौते
पुतिन और मोदी की बातचीत के बाद कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। इनमें रूस में भारतीय श्रमिकों की तैनाती और फार्मा, कृषि, खाद्य और उपभोक्ता वस्तुओं में निर्यात बढ़ाने के समझौते शामिल हैं। यह कदम भारत और रूस के व्यापार संतुलन को मजबूत करने के लिए उठाया जा रहा है। वर्तमान में भारत रूस से लगभग 65 अरब डॉलर का सामान और सेवाएँ खरीदता है, जबकि रूस का भारत से आयात केवल 5 अरब डॉलर है।
78 साल पुराने हैं भारत-रूस के संबंध
भारत और रूस की दोस्ती लगभग आठ दशकों से कायम है और रणनीतिक स्तर पर यह रिश्ता हमेशा बेहद भरोसेमंद रहा है। 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से रूस हर संकट और जरूरत के समय भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहा। व्यापारिक संबंध बहुत बड़े न होने के बावजूद सुरक्षा, रक्षा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में रूस भारत का प्रमुख साझेदार बना रहा है।

1965 और 1971 के युद्धों में रूस का बड़ा सहयोग
1965 के भारत-पाक युद्ध में तत्कालीन सोवियत संघ ने मध्यस्थता कर तनाव कम करने की कोशिश की। 1971 के युद्ध में रूस ने खुलकर भारत का समर्थन करते हुए दोनों देशों के बीच मैत्री और सहयोग की ऐतिहासिक संधि करवाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद से परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भी रूस भारत का भरोसेमंद सहयोगी बना। 2010 में राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान परमाणु ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
अंतरिक्ष, विज्ञान और रक्षा में गहरी भागीदारी
स्पेस, विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में भारत और रूस की साझेदारी लंबे समय से जारी है। रक्षा क्षेत्र में 1950–60 के दशक से शुरू हुआ सहयोग आज भी बेहद मजबूत है। चीन और पाकिस्तान जैसी चुनौतियों के बीच रूस ने मिग-21, सुखोई जेट, टी-90 टैंक और एस-400 मिसाइल सिस्टम जैसे हथियार देकर भारत की सैन्य शक्ति को मजबूत किया है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत दोनों देश मिलकर हथियार निर्माण भी कर रहे हैं। अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीद जारी रखकर अपनी स्वायत्त विदेश नीति स्पष्ट की। ग्लोबल साउथ में भी दोनों देश मिलकर हितों की रक्षा कर रहे हैं। सांस्कृतिक स्तर पर भी भारत का संगीत, नृत्य और बॉलीवुड रूस में बेहद पसंद किए जाते हैं।
आखिर क्यों है पुतिन की इस यात्रा पर पूरी दुनिया की निगाहें?
दुनिया की निगाहें इस समय रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर टिकी हुई हैं। इसकी वजह है कि इस यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच बड़ी डिफेंस डील होने की संभावना जताई जा रही है। पुतिन सिर्फ भारत को हथियार नहीं दे रहे हैं, बल्कि उन हथियारों की पूरी तकनीक भी साझा करेंगे, जिससे भारत इन हथियारों को अपने देश में ही बना सकेगा। यह कदम भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ रणनीतिक साझेदारी को भी नई ऊँचाई पर ले जाएगा। पुतिन को दुनिया की सबसे शक्तिशाली हस्तियों में गिना जाता है, और उनका यह दौरा भारत-रूस रिश्तों में ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व रखता है।






