सुप्रीम कोर्ट ने COVID वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की

thehohalla
thehohalla

नयी दिल्ली,15 अक्टूबर 2024:

सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 वैक्सीन से स्वास्थ्य संबंधी साइड इफेक्ट्स का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है। इस याचिका में COVID वैक्सीन से जुड़े संभावित दुष्प्रभावों पर सवाल उठाते हुए वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी। याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन-सदस्यीय बेंच द्वारा की गई।

सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि COVID-19 वैक्सीन ने वैश्विक स्तर पर महामारी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैक्सीन के कारण ही हम महामारी से उबरने में सक्षम हुए हैं। इस प्रकार की याचिकाएं अब दाखिल करना न केवल समय की बर्बादी है बल्कि इसका कोई आधार भी नहीं है। उन्होंने कहा:

“COVID वैक्सीन की वजह से हम उस महामारी से निपटने में सक्षम थे, जिसने पूरी मानवता को झकझोर कर रख दिया था। अब इन मुद्दों को फिर से उठाने का कोई औचित्य नहीं है।”

CJI चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि जब पूरी दुनिया महामारी से जूझ रही थी, तब वैक्सीन ही एकमात्र ऐसा साधन था जिसने वैश्विक संकट को कम किया और लाखों लोगों की जान बचाई। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की याचिकाएं केवल सार्वजनिक असंतोष और सनसनी फैलाने के उद्देश्य से दायर की जा रही हैं, जबकि वैज्ञानिक और चिकित्सा समुदाय ने बार-बार वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावकारिता की पुष्टि की है।

सुनवाई के दौरान, जस्टिस जेबी पारदीवाला ने याचिकाकर्ता से यह स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या उन्हें व्यक्तिगत रूप से COVID वैक्सीन लेने के बाद कोई साइड इफेक्ट हुआ है। याचिकाकर्ता के वकील ने इस सवाल का नकारात्मक जवाब दिया, जिसके बाद बेंच ने याचिका पर आगे विचार करने से इनकार कर दिया।

CJI चंद्रचूड़ ने याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की:


“यह समझना जरूरी है कि अगर आपने वैक्सीन नहीं ली होती तो इसके क्या परिणाम हो सकते थे। वैक्सीन ने हमें महामारी से लड़ने का साधन दिया, और अब इसे चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं है। यह सिर्फ सनसनी पैदा करने के लिए किया जा रहा है।”

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार और वैज्ञानिकों ने व्यापक अनुसंधान और परीक्षण के बाद ही वैक्सीन को मंजूरी दी थी, और इसकी प्रभावकारिता पूरी दुनिया में साबित हुई है। अदालत ने कहा कि COVID वैक्सीन ने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों की जान बचाई है, और इसके साइड इफेक्ट्स पर आधारित याचिकाएं सिर्फ अव्यवहारिक बहस को जन्म देती हैं।

अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए यह भी कहा कि यह समय है जब हमें इस प्रकार की अप्रासंगिक चर्चाओं से आगे बढ़ना चाहिए और उन वैज्ञानिक उपलब्धियों को स्वीकार करना चाहिए जिन्होंने मानवता को इस भीषण संकट से बाहर निकाला।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को वैक्सीन के प्रति जागरूकता बढ़ाने और वैक्सीन विरोधी विचारधाराओं के खिलाफ एक सशक्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *