लखनऊ, 16 दिसंबर 2025:
यूपी की सियासत से जुड़े एक संवेदनशील आपराधिक मामले में विवाद और गहरा गया है। रायबरेली से सांसद एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से संबंधित एक प्रकरण की सुनवाई को लेकर भाजपा नेता एवं वादी एस विग्नेश शिशिर ने अपनी सुरक्षा को खतरा बताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने रायबरेली की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट से मामले को लखनऊ की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की है।
याचिका में विग्नेश शिशिर ने दावा किया है कि रायबरेली में चल रही सुनवाई के दौरान उन्हें लगातार गंभीर सुरक्षा खतरे का सामना करना पड़ रहा है। उनका आरोप है कि गत 3 नवंबर और 5 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में भारी अव्यवस्था फैल गई। याचिका के अनुसार 200 से अधिक वकीलों और कांग्रेस समर्थकों ने कोर्ट हॉल में प्रवेश कर कार्यवाही में बाधा डालने की कोशिश व नारेबाजी की। हालात बिगड़ते देख विशेष जज कोर्ट से बाहर चले गए।

उनका कहना है कि इस तरह की घटनाओं से न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होने के साथ उनकी जान को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि 12 दिसंबर को प्रस्तावित सुनवाई से पहले उन पर हमले की साजिश रची गई थी। विग्नेश शिशिर के अनुसार खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर इस कथित हमले को समय रहते टाल दिया गया। उन्होंने इस साजिश के पीछे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हाथ होने का आरोप लगाया है।
उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी के खिलाफ दायर इस मामले में एस विग्नेश शिशिर वादी हैं। यह प्रकरण राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता सहित अन्य आरोपों से जुड़ा बताया जा रहा है। इसकी सुनवाई फिलहाल रायबरेली की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही है। मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों ही दृष्टि से काफी संवेदनशील माना जा रहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दायर ट्रांसफर याचिका पर 17 दिसंबर को सुनवाई प्रस्तावित है। इस सुनवाई को लेकर राजनीतिक गलियारों और कानूनी हलकों में खासा उत्सुकता है, क्योंकि हाईकोर्ट के फैसले से यह तय होगा कि आगे की सुनवाई रायबरेली में जारी रहेगी या मामले को लखनऊ स्थानांतरित किया जाएगा।
वादी की ओर से स्पष्ट किया गया है कि निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और सुरक्षित सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए ट्रायल का स्थानांतरण आवश्यक है। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो इस बहुचर्चित मामले की आगे की दिशा तय करेगा।






