
नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025 —
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इन दिनों केंद्र सरकार पर तीखे हमले कर रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र उन्होंने “वोट चोरी” का मुद्दा उठाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने बीजेपी और चुनाव आयोग की मिलीभगत से तीसरी बार सत्ता पाई है। राहुल के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन के कई बड़े नेता, जिनमें प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव शामिल हैं, सड़कों पर उतरे। सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस ने इन आरोपों को ज़ोर-शोर से फैलाया।
इसके बावजूद, राहुल गांधी को जनता से अपेक्षित समर्थन नहीं मिल रहा। विरोध प्रदर्शनों में आम नागरिकों की बजाय ज़्यादातर विपक्षी दलों के नेता और कार्यकर्ता ही दिख रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसकी एक वजह कांग्रेस की पुरानी भ्रष्टाचार वाली छवि हो सकती है, जो बोफोर्स, 2जी और कोल स्कैम जैसे मामलों से अब भी जुड़ी हुई है।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि राहुल के आरोप नए नहीं हैं। चुनावी प्रक्रियाओं में गड़बड़ी और वोटर लिस्ट में त्रुटियों की चर्चा पहले भी होती रही है। वहीं, सत्तापक्ष राहुल के बयानों का जवाब देते हुए अतीत में हुए चुनाव आयोग के फैसलों और कांग्रेस सरकार के समय बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं का हवाला देता है।
राहुल गांधी इससे पहले भी राफेल डील, संविधान बचाओ अभियान और चीन द्वारा कथित ज़मीन कब्ज़े जैसे मुद्दों पर सरकार को घेर चुके हैं, लेकिन ये सभी अभियान बड़े जनआंदोलन में तब्दील नहीं हो पाए। इस बार भी “वोट चोरी” का आरोप भले ही गंभीर है, पर जनता की चुप्पी से लगता है कि राहुल के लिए इसे सियासी बढ़त में बदलना आसान नहीं होगा।