मनोरंजन डेस्क, 14 दिसंबर 2025 :
हिंदी सिनेमा का वो चमकता सितारा, जिसकी फिल्मों ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी तहलका मचाया। रूस ने उनकी एक फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म का दर्जा दिया और उन्हें भारतीय सिनेमा का चार्ली चैपलिन कहा गया। दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड समेत कई सम्मान हासिल करने वाले राज कपूर की कला आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
जब हिंदी सिनेमा को मिला एक शोमैन
14 दिसंबर 1924 को हिंदुस्तान की धरती पर एक ऐसे कलाकार का जन्म हुआ, जिसने आगे चलकर भारतीय सिनेमा की पहचान ही बदल दी। यह नाम था राज कपूर। रंगमंच और फिल्मों के दिग्गज पृथ्वीराज कपूर के सबसे बड़े पुत्र राज कपूर बचपन से ही कला के माहौल में पले-बढ़े। जब वह बड़े हो रहे थे, तब उनके पिता मूक फिल्मों के दौर में अपनी अलग पहचान बना चुके थे। राज कपूर ने न केवल उस विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि उसे ऐसी ऊंचाइयों तक पहुंचाया, जहां तक पहुंचना बहुत कम लोगों के हिस्से में आता है।
बाल कलाकार से फिल्म निर्माता तक का सफर

राज कपूर ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1935 में फिल्म इंकलाब से बाल कलाकार के रूप में की। 1947 में उन्होंने मधुबाला के साथ नायक के रूप में हिंदी सिनेमा में कदम रखा। लेकिन 1948 में आई फिल्म आग ने उन्हें एक निर्देशक और निर्माता के रूप में स्थापित कर दिया। इसके बाद 1950 और 1960 के दशक में राज कपूर हिंदी सिनेमा के सबसे चर्चित और लोकप्रिय अभिनेताओं में शामिल हो गए। उनकी फिल्मों में प्रेम, समाज, आम आदमी का संघर्ष और मानवीय संवेदनाएं साफ झलकती थीं।
हर फिल्म में छिपा था समाज का आईना
1949 में आई बरसात ने उन्हें एक बड़े अभिनेता के रूप में पहचान दिलाई। 1951 की आवारा ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध किया। श्री 420 में सामाजिक संदेश के साथ मेरा जूता है जापानी जैसा अमर गीत मिला। जागते रहो, मेरा नाम जोकर, बॉबी, सत्यम शिवम सुंदरम और राम तेरी गंगा मैली जैसी फिल्मों में उन्होंने समाज, रिश्तों, प्रेम और गरीबी जैसे विषयों को पूरी ईमानदारी से पर्दे पर उतारा। उनकी हर फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सोच और संदेश लेकर आती थी।
स्टार मेकर और अधूरी मोहब्बत की कहानी
राज कपूर सिर्फ खुद एक सितारा नहीं थे, बल्कि उन्होंने कई सितारे भी गढ़े। इस सूची में सबसे प्रमुख नाम नर्गिस का रहा। नर्गिस पहले से फिल्मों में थीं, लेकिन आग और बरसात में राज कपूर के साथ काम करने के बाद वह सुपरस्टार बन गईं। राज और नर्गिस की जोड़ी पर्दे पर जितनी पसंद की गई, उतनी ही चर्चा उनकी निजी जिंदगी की भी रही। उनकी प्रेम कहानी अधूरी रह गई, लेकिन सिनेमा के इतिहास में अमर बन गई।
सम्मान, परिवार और अमर विरासत
राज कपूर ने वर्ष 1946 में कृष्णा मल्होत्रा से विवाह किया, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। इनमें रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर ने फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाई। राज कपूर को उनके योगदान के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार और पद्म भूषण जैसे बड़े सम्मान मिले। उनकी फिल्मों को मॉस्को फिल्म फेस्टिवल समेत कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया। 2 जून 1988 को उनका निधन हुआ, लेकिन राज कपूर आज भी अपनी फिल्मों, संगीत और विचारों के जरिए लोगों के दिलों में जिंदा हैं। वह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक पूरा युग थे।





