उत्तरकाशी, 7 अगस्त 2025
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई हालिया त्रासदी की असल वजह सामने आ गई है। मौसम विभाग और भूगर्भ वैज्ञानिकों की मानें तो यह आपदा बादल फटने से नहीं, बल्कि ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते आई है। वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉ. एस.पी. सती ने बताया कि श्रीखंड पर्वत पर स्थित एक हैंगिंग ग्लेशियर उमस और बारिश के कारण पिघलकर टूट गया, जिससे भारी मलबा नीचे की ओर बहता चला गया और धराली गांव में तबाही मचा दी।
मौसम विभाग के डायरेक्टर डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि आपदा वाले दिन सिर्फ 2.7 मिमी बारिश दर्ज हुई थी, जो सामान्य मानी जाती है। बावजूद इसके इतनी भयंकर तबाही आई। इसका कारण था ग्लेशियर का टूटना, जो पहाड़ों की ऊंची ढलानों पर खतरनाक स्थिति में टिके होते हैं। उन्होंने बताया कि लगातार बढ़ते तापमान के कारण यह ग्लेशियर कमजोर हो गए थे और आखिरकार एक बड़ा हिस्सा टूटकर नीचे गिर पड़ा। रास्ते में यह मलबा कई छोटी झीलों को भी तोड़ता चला गया, जिससे इसकी तीव्रता और बढ़ गई।
रेस्क्यू ऑपरेशन युद्धस्तर पर जारी है। अब तक करीब 400 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जिनमें सेना के 11 जवान भी शामिल हैं। आशंका है कि अब भी 150 से अधिक लोग मलबे में दबे हो सकते हैं। सेना, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें खोजी कुत्तों और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार की मदद से बचाव कार्य में जुटी हैं।
गुरुवार को मौसम साफ होने से राहत कार्य में तेजी आई है। हेली सेवा के जरिए प्रभावित लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। हालांकि, खतरा अभी टला नहीं है क्योंकि ग्लेशियर लगातार सक्रिय हैं और मलबा बहकर नीचे आता जा रहा है।
धराली की यह आपदा एक बार फिर ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों की गंभीर चेतावनी देती है।