
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 3 दिसंबर 2024:
उत्तर प्रदेश में गंगा के किनारे बसे ऐतिहासिक शहर बनारस की सुंदरता और पुरातन धरोहरों को संरक्षित रखने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने एक अहम कदम उठाया है। वीडीए ने गंगा के 200 मीटर के दायरे में स्थित भवनों की मरम्मत प्रक्रिया को सरल बना दिया है। इससे 1315 भवन स्वामियों को राहत मिलेगी, जो मरम्मत के लिए अब अनावश्यक प्रक्रियाओं और कार्यालयों के चक्कर लगाने से बचेंगे।
किन कार्यों के लिए अनुमति की जरूरत नहीं:
वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि भवनों की मरम्मत से जुड़े कई कार्य अब बिना अनुमति के किए जा सकेंगे। इनमें दीवारों पर सीमेंट का प्लास्टर, प्लास्टर की मरम्मत, दोबारा फर्श का निर्माण, रंगाई-पुताई, सेप्टिक टैंक और सोक पिट का निर्माण, हैंडपंप लगाना, नाला-नाली निर्माण और सोलर पैनल लगाने जैसे काम शामिल हैं।
किन कार्यों के लिए अनुमति आवश्यक होगी:
हालांकि, भवनों में संरचनात्मक बदलाव के लिए अब भी अनुमति लेनी होगी। इनमें दीवारों का पुनर्निर्माण, पुराने भवन को तोड़कर नया निर्माण, छत, बालकनी या बरामदे का निर्माण, और किसी भी प्रकार के अंदर या बाहर की संरचनाओं में बदलाव शामिल हैं।
धरोहर संरक्षण और विकास में संतुलन का प्रयास
यह पहल गंगा के किनारे स्थित ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित रखते हुए आधुनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर की गई है। गंगा और गलियों के शहर बनारस की अनोखी पहचान को बनाए रखने के लिए वीडीए का यह निर्णय शहरवासियों और धरोहर प्रेमियों के लिए एक बड़ा कदम है।
इस बदलाव से न केवल भवन स्वामियों को मरम्मत कार्य में सुविधा मिलेगी, बल्कि शहर की ऐतिहासिक धरोहरों को भी संरक्षित रखने में मदद मिलेगी। गंगा किनारे बसे इस पुरातन शहर का यह नया कदम इसकी खूबसूरती और महत्व को आने वाले वर्षों में भी बनाए रखेगा।