
वाराणसी, 14 जुलाई 2025
सावन माह का पहला सोमवार आज पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन शिव भक्त व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। शिव पुराण में सावन सोमवार व्रत की बड़ी महिमा बताई गई है। धार्मिक मान्यता है कि व्रत के साथ यदि भक्त श्रद्धापूर्वक व्रत कथा का पाठ करता है, तो उसे विशेष पुण्य और मनचाहा फल प्राप्त होता है।
सावन सोमवार व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना से करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत कर शिव-पार्वती की कथा सुनने और सुनाने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक निर्धन ब्राह्मण दंपति था, जिन्हें संतान नहीं थी। वे शिवभक्त थे और संतान प्राप्ति के लिए वर्षों तक तप करते रहे। अंततः एक रात भगवान शिव ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर सावन के प्रत्येक सोमवार को व्रत रखने और विधिवत पूजा करने का निर्देश दिया। उन्होंने भगवान के आदेश का पालन किया, पूरे सावन मास में व्रत रखा, शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और धतूरा अर्पित किया। शाम को आरती कर भोग चढ़ाया और पूरे मन से पूजा की।
श्रद्धा से की गई उनकी इस भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें संतान सुख का वरदान दिया। कुछ समय बाद उनके घर एक सुंदर पुत्र ने जन्म लिया। इस घटना के बाद से ही सावन सोमवार व्रत की मान्यता और अधिक बढ़ गई।
आज भी यह विश्वास किया जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से शिव की उपासना करता है और इस व्रत कथा का श्रवण करता है, उसकी हर कामना शिव कृपा से पूरी होती है। सावन सोमवार व्रत भारतीय संस्कृति में श्रद्धा, आस्था और भक्तिभाव का प्रतीक है।
(नोट: यह कथा धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सांस्कृतिक जानकारी देना है।)