लखनऊ, 26 दिसंबर 2025:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार की कोशिश है कि सरकारी योजनाओं का फायदा समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे। इसी सोच के तहत अब अनुसूचित जाति की ज्यादा आबादी वाले गांवों में बुनियादी सुविधाएं मजबूत की जा रही हैं, ताकि कोई भी परिवार विकास से पीछे न रह जाए।
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत राज्य सरकार ने ऐसे 12,492 गांवों को चुना है, जहां 40 प्रतिशत से ज्यादा अनुसूचित जाति की आबादी रहती है। इन गांवों की न्यूनतम आबादी 500 तय की गई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके। सरकार का लक्ष्य है कि 2025-26 तक इन गांवों का हर तरफ से विकास किया जाए।
पानी, सफाई, रोशनी और शिक्षा पर खास ध्यान
इन गांवों में पीने के साफ पानी और सफाई की व्यवस्था बेहतर की जा रही है। स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय बनवाए जा रहे हैं। इसके साथ ही सोलर लाइट और स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही हैं, ताकि गांवों में अंधेरा न रहे। इसके अलावा बोरवेल, डिजिटल लाइब्रेरी, ट्रांसफॉर्मर, मोटर शेड, शवदाह गृह और पाइपलाइन बढ़ाने जैसे जरूरी काम भी कराए जा रहे हैं। सरकार का मकसद है कि गांव के लोगों को अच्छी पढ़ाई, साफ माहौल और बेहतर जीवन स्तर मिल सके।
काम में तेजी के लिए बदली व्यवस्था
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के प्रबंध निदेशक शिव प्रसाद ने बताया कि समाज कल्याण से जुड़ी कार्यदायी संस्था के जरिए अब तक 2562 गांवों में काम मंजूर किया गया है। इनमें से 910 गांवों में काम पूरा हो चुका है, जबकि बाकी गांवों में तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि काम में तेजी लाने के लिए अब ग्राम पंचायतों को ही काम की जिम्मेदारी दी गई है। इससे एक तरफ कागजी प्रक्रिया आसान हुई है, वहीं दूसरी तरफ गांव स्तर पर निगरानी और जवाबदेही भी बढ़ी है।
समाज को जोड़ने की कोशिश
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के जरिए योगी सरकार सिर्फ सड़क, पानी और बिजली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अनुसूचित जाति समाज को मुख्यधारा से जोड़ने की ठोस कोशिश कर रही है। यह योजना गांवों में बराबरी, इंसाफ और सबको साथ लेकर चलने के लक्ष्य को मजबूत करती है। योगी सरकार का कहना है कि विकास सिर्फ कागजों या आंकड़ों में नहीं, बल्कि जमीन पर दिखना चाहिए और उसका फायदा समाज के हर तबके तक पहुंचना चाहिए।






