
नई दिल्ली | 28 जुलाई 2025
दिल्ली का शाहीन बाग, जो एक समय CAA-NRC आंदोलन का केंद्र रहा, आज कूड़े के ढेर और जलभराव जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। सड़कों पर बेतरतीब फैला कचरा, खुले सीवर और गंदगी से लोगों का जीवन दूभर हो गया है। कभी आंदोलन और एकता की मिसाल रहा यह इलाका अब बदहाल नगर सेवाओं और प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक बन गया है।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि कचरे की बदबू घरों तक पहुंच रही है, और कुछ जगहों पर बिना नाक ढके चलना मुश्किल हो गया है। 40 फुटा रोड, जो कभी जायकों की खुशबू के लिए जाना जाता था, अब कचरे की दुर्गंध से बदनाम हो रहा है।
इस स्थिति को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने हाल ही में स्वत: संज्ञान लिया और रिपोर्ट में शाहीन बाग को प्रमुखता से शामिल किया। दिल्ली में सफाई की जिम्मेदारी MCD के पास है, लेकिन कांग्रेस पार्षद अरीबा खान ने बताया कि उनके वार्ड का 95% क्षेत्र अनाधिकृत कॉलोनियों में आता है, जिससे सफाई व्यवस्था और जटिल हो जाती है।
DDSIL नामक सफाई एजेंसी का टेंडर नवंबर 2023 में समाप्त हो गया था और तब से कंपनी अस्थायी रूप से काम कर रही थी। लेकिन स्थायी समिति के गठन में देरी और फंड रिलीज न होने के चलते DDSIL ने विरोध में सेवाएं रोक दी थीं, जिससे हालात और बिगड़ गए।
व्यापारी वर्ग भी इस संकट से प्रभावित है। एक कैफे मालिक ने बताया कि अब ग्राहक कचरे की बदबू के चलते दुकान पर रुकना नहीं चाहते। ठेले वाले दुकानदारों का भी कहना है कि काम पर सीधा असर पड़ रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
हालांकि पार्षद अरीबा खान ने भरोसा दिलाया कि अब नया टेंडर हो चुका है और क्षेत्र में 12 बंपरों की मांग की गई है, जिनमें से 4 मिल चुके हैं। उन्होंने यह भी अपील की कि स्थानीय लोग भी अपनी जिम्मेदारी निभाएं, ताकि मिलकर सफाई व्यवस्था सुधारी जा सके।
लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता आशू खान ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर समस्या स्थायी समिति की है तो अन्य वार्डों में सफाई कैसे हो रही है? उन्होंने पार्षद की निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराया।
शाहीन बाग की यह बदहाल तस्वीर केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि जनसहभागिता की कमी का भी आईना बन गई है।