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छात्रा पूजा पाल ने बढ़ाया बाराबंकी का गौरव… राष्ट्रपति ने सौंपा पुरस्कार, सीएम योगी ने दी बधाई

डस्ट फ्री थ्रेशर मशीन का अविष्कार करने से शुरू हुई पूजा की सफलता की यात्रा, सरकार पहले शैक्षिक भ्रमण पर पूजा को भेज चुकी है, आज राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में दिया प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

लखनऊ/बाराबंकी, 26 दिसंबर 2025:

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की छात्रा पूजा पाल ने अपने नवाचार से जिले और प्रदेश का नाम रोशन किया है। नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने पूजा पाल को ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार–2025’ से सम्मानित किया। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूजा को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि गेहूं थ्रेशर मशीन से निकलने वाली धूल से होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए पूजा ने ‘चाफ-डस्ट सेपरेशन मशीन’ विकसित की है। यह उनकी वैज्ञानिक सोच, नवाचार और समाज के प्रति जिम्मेदारी को दर्शाता है।

पूजा पाल बाराबंकी जिले की सिरौलीगौसपुर तहसील के गांव अगेहरा की रहने वाली हैं। उनके पिता पुत्तीलाल मजदूरी करते हैं और मां सुनीला देवी सरकारी स्कूल में रसोइया हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में पली-बढ़ी पूजा ने कभी हालात को अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। पांच भाई-बहनों के साथ रहते हुए उन्होंने घर के काम, पशुओं की देखभाल और पढ़ाई—सब कुछ साथ-साथ किया।

आठवीं कक्षा में पढ़ते समय पूजा ने देखा कि थ्रेशर मशीन से उड़ने वाली धूल किसानों और आसपास के लोगों के लिए परेशानी बनती है। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने टीन और पंखे की मदद से एक सरल मॉडल तैयार किया, जिससे थ्रेशर से निकलने वाली धूल एक थैले में इकट्ठा हो जाती है। इस मॉडल को बनाने में करीब तीन हजार रुपये खर्च हुए, जो उनके परिवार के लिए बड़ी राशि थी।

पूजा की मेहनत रंग लाई जब उनका मॉडल वर्ष 2020 में जिला और मंडल स्तर पर चुना गया। इसके बाद यह राज्य स्तरीय प्रदर्शनी और राष्ट्रीय विज्ञान मेले तक पहुंचा। वर्ष 2024 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान मेले में भी उनके मॉडल को स्थान मिला।

उनकी प्रतिभा को देखते हुए भारत सरकार ने जून 2025 में पूजा पाल को शैक्षिक भ्रमण के लिए जापान भेजा। आज प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिलने के साथ ही पूजा पाल देश की उन होनहार छात्राओं में शामिल हो गई हैं, जिन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी प्रतिभा से नई पहचान बनाई है।

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