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29 नवंबर को सूरज और शनि की होगी खास कृपा, जानिए किन कामों की शुरुआत रहेगी बेस्ट

शनिवार को नवमी तिथि पर हर्ष योग और रवि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो वृषभ और कन्या समेत पाँच राशियों के लिए बेहद शुभ माना जा रहा है।

लखनऊ, 29 नवंबर 2025 :

29 नवंबर को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है, और इस दिन एक बेहद शुभ संयोग बन रहा है, हर्ष योग और रवि योग। शनिवार होने की वजह से यह दिन और भी खास माना जा रहा है। ज्योतिष के अनुसार यह तिथि, योग और वार का मेल कई लोगों के लिए लाभ और शुभ फल लेकर आएगा। खासकर वृषभ, कन्या समेत पाँच राशियों के जातकों के लिए यह दिन लकी माना जा रहा है।

रवि योग क्यों होता है खास?

धार्मिक मान्यता के अनुसार रवि योग सभी शुभ योगों में से एक शक्तिशाली योग है। यह तब बनता है जब चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वह सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नवें, दसवें या तेरहवें स्थान पर हो। ऐसा योग बनने पर नए काम शुरू करना, जैसे निवेश (investment), यात्रा (travel), शिक्षा (education) या किसी बिज़नेस से जुड़े कार्य बहुत सफल माने जाते हैं।
कहा जाता है कि रवि योग में शुरू किए गए कामों में रुकावटें कम होती हैं और सफलता मिलने के मौके बढ़ जाते हैं। इस योग का असर लंबे समय तक सकारात्मक बना रहता है।

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Sun & Saturn Blessings on 29 Nov

रवि योग में क्या करें?

ग्रंथों में बताया गया है कि रवि योग में सुबह पूजा के बाद सूर्य देव को अर्घ्य जरूर देना चाहिए और ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में तेज, ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ता है।

क्या है शनिवार व्रत का महत्व?

इस बार नवमी तिथि पर शनिवार भी है, जो शनि उपासना के लिए बहुत शुभ माना जाता है। जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव चल रहा है, वे इस दिन शनिदेव की पूजा या व्रत रखकर राहत पा सकते हैं। मान्यता है कि शनिदेव कठिन समय देकर व्यक्ति को मजबूत बनाते हैं, जैसे आग में तपकर सोना चमकता है। शनिवार का व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से शुरू किया जा सकता है। माना जाता है कि सिर्फ 7 शनिवार व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से बचाव होता है और विशेष फल प्राप्त होते हैं।

कैसे करें शनिदेव की पूजा?

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, घर या मंदिर की सफाई करें और शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें गुड़, काले तिल, काली उड़द, काले वस्त्र और सरसों का तेल अर्पित करें। उनके सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं, लेकिन ध्यान रहे कि दीप जलाते समय शनिदेव की प्रतिमा से सीधी नज़र न मिलाएं। जिन लोगों के लिए व्रत रखना संभव नहीं है, वे पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर छाया दान कर सकते हैं। मान्यता है कि इससे नकारात्मकता दूर होती है और शनिदेव की कृपा मिलती है।

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