बिजनेस डेस्क, 2 दिसंबर 2025 :
देश की दिग्गज ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी बड़ा कदम उठाने जा रही है। कंपनी अगले हफ्ते 10,000 करोड़ रूपये जुटाने की तैयारी में है, जिसके लिए वह इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स को शेयर बेचेगी। जानकारी के मुताबिक कंपनी ने सिटीग्रुप, जेपी मॉर्गन चेस और कोटक महिंद्रा कैपिटल को शेयर सेल मैनेज करने के लिए चुना है। 7 नवंबर को बोर्ड ने QIP (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) से फंड रेज का प्लान पास किया था, लेकिन शेयरहोल्डर्स और रेगुलेटरी अप्रूवल अभी बाकी हैं। बिकवाली की टाइमिंग और साइज बदल सकता है, और कंपनी की तरफ से अभी तक कोई ऑफिशियल बयान नहीं आया है।
जुलाई-सितंबर में स्विगी का घाटा 74% बढ़ा
स्विगी का शुद्ध घाटा (नेट लॉस) जुलाई-सितंबर तिमाही में पिछले साल की तुलना में 74% बढ़कर ₹1,092 करोड़ हो गया। पिछले साल की इसी तिमाही में कंपनी को ₹626 करोड़ का घाटा हुआ था। वहीं ऑपरेशनल रेवेन्यू में 54% की बढ़ोतरी हुई है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू ₹5,561 करोड़ रहा, जबकि पिछले साल यह ₹3,601 करोड़ था।
स्विगी शेयर ₹400 पर, 6 महीने में 20% उछाल
पिछले छह महीनों में शेयर 20.28% बढ़ा है, जबकि एक साल में यह 18% गिरा है। हालांकि स्विगी के शेयर ने आज 3.15% बढ़कर ₹400 पर ट्रेड किया है। कंपनी का मार्केट कैप ₹91,650 करोड़ है। स्विगी 13 नवंबर 2024 को शेयर बाजार में लिस्ट हुई थी।
कैसे हुई थी स्विगी की शुरुआत ?
स्विगी की शुरुआत बेंगलुरु के कोरामंगला से हुई थी, जहां फाउंडर्स नंदन रेड्डी और श्रीहर्षा मजेटी ने कुछ डिलीवरी पार्टनर्स और करीब 25 रेस्टोरेंट्स के साथ इसकी नींव रखी। उस समय स्विगी का ऐप नहीं था, इसलिए लोग वेबसाइट के जरिए ऑर्डर करते थे। 2015 में कंपनी ने अपना ऐप लॉन्च किया, जिससे फूड ऑर्डर करना ग्राहकों के लिए और आसान हो गया। 2014 में शुरू हुई स्विगी ने बेहद तेज़ी से विकास किया और सिर्फ 4 साल में, 2018 तक, 10,000 करोड़ वैल्यूएशन पार करते हुए भारत की सबसे तेज यूनिकॉर्न कंपनियों में शामिल हो गई।






