खेल डेस्क, 15 नवंबर 2025
मुश्किल राहों और विरोध के बीच इस लड़की ने कभी हार नहीं मानी। कोर्ट पर अपने प्रतिद्वंदियों और बाहर समाज की छोटी मानसिकता के बावजूद, जिन्होंने उनके स्कर्ट पहनकर खेलने पर सवाल उठाए, उन्होंने हौसले और जुनून से हर चुनौती को पार किया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना नाम रोशन किया। उनके इस संघर्ष और मेहनत की कहानी हर युवा लड़की के लिए प्रेरणा बन गई।
भारतीय टेनिस की शान सानिया मिर्जा आज 15 नवंबर को अपना 39वां जन्मदिन मना रही हैं। हैदराबाद में जन्मी सानिया ने टेनिस की दुनिया में सिर्फ नाम ही नहीं कमाया, बल्कि लाखों भारतीय लड़कियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा भी दी।
कहाँ से शुरू हुआ सफर?
सानिया ने सिर्फ 6 साल की उम्र में टेनिस रैकेट थामा। उनके पहले कोच कृष्णा भूपति थे, जिन्होंने उन्हें बेसिक स्किल्स सिखाईं। बाद में रोजर एंडरसन से ट्रेनिंग ली और 12 साल की उम्र में पिता इमरान मिर्जा की मदद से पूरी तरह प्रशिक्षण शुरू किया।

जूनियर से ग्लोबल स्टार तक
2003 में विंबलडन जूनियर चैम्पियनशिप जीतकर सानिया ने दिखा दिया कि उनके सपने बड़े हैं। 2004 में उन्होंने डब्ल्यूटीए में पहला खिताब जीता। शुरुआती दौर में उन्होंने 10 सिंगल्स और 13 डबल्स खिताब हासिल किए।
डबल्स में धमाका
सिंगल्स से करियर की शुरुआत करने वाली सानिया ने बाद में डबल्स में खुद को और बेहतर साबित किया। 2009 में ऑस्ट्रेलियन ओपन में महेश भूपति के साथ पहला ग्रैंड स्लैम जीता। इसके बाद 3 विमेंस डबल्स ग्रैंड स्लैम खिताब भी उनके नाम हुए, जिनमें 2012 फ्रेंच ओपन और 2014 यूएस ओपन शामिल हैं।
सफलताएँ और अवॉर्ड्स
सानिया पहली भारतीय महिला टेनिस खिलाड़ी हैं जिन्होंने 1 मिलियन डॉलर से अधिक की इनकम कमाई। उन्होंने 27 डब्ल्यूटीए और 4 आईटीएफ डबल्स टाइटल्स, 1 डब्ल्यूटीए और 14 आईटीएफ सिंगल्स टाइटल्स जीते। सानिया को 2004 में अर्जुन पुरस्कार, 2015 में राजीव गांधी खेल रत्न और पद्म श्री व पद्म भूषण से नवाज़ा गया।
करोड़ों के लिए प्रेरणा का स्रोत
कोर्ट पर उनकी मेहनत और कोर्सन में साहस, और कोर्ट के बाहर उनकी जिंदादिली ने उन्हें हर जगह खास बनाया। आज उनके फैंस उन्हें टेनिस ही नहीं, बल्कि इंस्टाग्राम रील्स और सोशल मीडिया पर भी प्यार करते हैं। सानिया मिर्जा का जीवन बताता है कि कड़ी मेहनत, हौसला और जुनून किसी भी मुश्किल राह को आसान बना सकता है।






