अंशुल मौर्य
वाराणसी,18 फरवरी 2025:
बाबा विश्वनाथ की पूजा-आराधना के बिना महाकुंभ का शाही स्नान शैव संप्रदाय के नागा साधुओं के लिए अधूरा माना जाता है। महाशिवरात्रि का अमृत स्नान नागा संन्यासी काशी में करेंगे। गंगा में स्नान के बाद ये साधु बाबा विश्वनाथ को जल अर्पित कर लौट जाते हैं। यूं तो महाकुंभ के अमृत स्नान के उपलक्ष्य में काशी में डेरा जमा रहे नागा साधुओं की पेशवाई पूर्णिमा से शुरू हो गई थी, लेकिन मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच बेनियाबाग से दशाश्वमेध घाट तक की पेशवाई ने दर्शकों का मन मोह लिया।

पेशवाई का शानदार आयोजन:
काशी में नागा संतों की पेशवाई के दौरान, हर मोड़ पर काशीवासियों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। दर्शकों ने हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच नागा साधुओं पर पुष्प वर्षा की। सिर से पैर तक भस्मी रमाए नागा साधुओं ने गेंदे के फूल की मालाओं से श्रृंगार किया था। कहीं माला को जनेऊ की तरह धारण किया गया तो कहीं पगड़ी के रूप में। समूह में कुछ नागा संत तलवार, लट्ठ, गदा और त्रिशूल भी भांजते दिखे, जबकि कुछ ने रुद्राक्ष की मालाओं को वस्त्र के रूप में धारण किया था।

धार्मिक आस्था और परंपरा का संगम:
गंगा किनारे तंबू बिछाकर धूनि रमाने वाले नागा पेशवाई में पीतांबर से सजधज कर पहुंचे साधु अपनी चिता भस्म लगाकर, जटाओं को लहरा रहे थे और बैंडबाजा, डमरू, नगाड़ा आदि वाद्य यंत्रों की धुन पर करतब दिखाते चले गए। नागा साधुओं ने दशाश्वमेध घाट पहुंचकर गंगा में डुबकी लगाई, जिससे श्रद्धालुओं में उल्लास की लहर दौड़ गई।

महामंडलेश्वर और अनुभवी संतों के बयान:
महामंडलेश्वर अरुण गिरी महाराज ने कहा कि काशी में महा शाही स्नान शिव के बिना अधूरा है और सनातन बोर्ड को 9 लाख एकड़ जमीन वापस मिलनी चाहिए। राधा नंद भारती ने अपने अनुभव से कहा कि गंगा स्नान के बाद अवगुण त्यागना आवश्यक है। पर्यावरण बाबा ने सनातन धर्म के सिद्धांत पर जोर देते हुए बताया कि हर व्यक्ति को अंतिम संस्कार के लिए एक और ऑक्सीजन हेतु एक पेड़ लगाना चाहिए, जबकि महामंडलेश्वर रामगिरी महाराज ने कुंभ में युवाओं की भागीदारी और धर्म के प्रचार की सराहना की।
